“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की 4 कविताएं ‘द्वंद्व’, ‘सूरज’, 'जिंदगी' और ‘खामोशी’ …”

“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की 4 कविताएं ‘द्वंद्व’, ‘सूरज’, 'जिंदगी' और ‘खामोशी’ …”

कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की 4 कविताएं ‘द्वंद्व’, ‘सूरज’, ‘जिंदगी’ और ‘खामोशी’ …”

द्वंद्व

द्वंद हमेशा बना रहा
इस दो पल के जीवन में
हमने गम को साथी बनाया
हर खुशी को पा लेने में।
(रचनाकाल- 19 जून 2019)

सूरज
सिर उठाकर चाँद को देखो
मन में शीतलता भर कर देखो
सूरज से आंखें मिला कर देखो
जरा उसे छूकर तो देखो।
(रचनाकाल- 24 जुलाई 2022)

जिंदगी

जिंदगी ने भाई ऐसी परीक्षा ली
उसे लगने लगा
परीक्षा इसीकी लेने में मजा है
ना खुद हारती है
ना जिंदगी को हारने देती है ।
(रचनाकाल- 24 जुलाई 2022)

खामोशी

खामोशी से कहा मैंने कुछ
उन्होंने आँखों से सुना सब
आँखों से उन्होंने कहा कुछ
हिय से जाना मैंने सब। डॉ. प्रेरणा उबाळे (रचनाकाल- 10 अगस्त 2023)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *