“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की 3 कविताएं ‘मौन’, ‘कविता’ और ‘अव्यक्त’ …”

मौन


मौन ही शक्ति है
मौन में शांति है
हममें रचे-बसे गौतम, गांधी
आज मौन क्यों है?
       (रचनाकाल- 23 अप्रैल 2013)

कविता


शब्द गूंगे हो जाए भी
कविता मौन होगी क्या
विद्रोह कर मौन से वह
मन से झर आएगी आप l
       (रचनाकाल- 23 अगस्त 2017)

अव्यक्त


मौन से जुड़ा था
मौन से बंधा था
धागों के रिश्ते टूट गए
मौन में बंधे रह गए
अव्यक्त हमेशा शब्द रहें
बाणों की चुभन छोड़ गए l

(रचनाकाल- 23 अगस्त 2017)

डॉ. प्रेरणा उबाळे  (कवयित्री, अनुवादक, पुणे)

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