पार्वती तिर्की को कविता संग्रह "फिर उगना" के लिए साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार : संजय कृष्ण

पार्वती तिर्की को कविता संग्रह "फिर उगना" के लिए साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार : संजय कृष्ण

डॉ. पार्वती तिर्की को उनके कविता संग्रह “फिर उगना” के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 से सम्मानित होने के लिए बहुत-बहुत बधाइयां : संजय कृष्ण

पुरखे गोत्र उत्पत्ति की कई कहानियां सुनाते हैं—

हे भई!

तुम क्यों मेरा रास्ता रोकते ?

मैं तुम्हारा ही

भाई हूं —

जंगल से गुजरते हुए

बाघ से सामना होने पर

किसी ने ऐसा कहा !

फिर

बाघ ने उसका रास्ता

कभी नहीं रोका

उस दिन से

वह मनुष्य और बाघ

एक कुल के हुए …

इन काव्य पंक्तियों को रचने वाली पार्वती तिर्की Parwati Tirkey का इस बार साहित्य अकादमी 2025 का युवा पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। मिला है। बुधवार को घोषणा हुई। पार्वती तिर्की के पहले काव्य संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए चयन किया गया है। यह संग्रह 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से आया है। पार्वती ने कहा कि संवाद का सम्मान हुआ है। आदिवासी जन समूह की प्रकृति और संस्कृति की बात है कविता में। इसका सम्मान आत्मविश्वास जगाता है।

रांची विवि के रामलखन सिंह यादव कालेज में हिंदी की अध्यापिका पार्वती को पुरस्कार के तहत 50 हजार रुपये नकद व एक उत्कीर्ण ताम्र पट्टिका दी जाएगी। साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, साहित्य अकादमी द्वारा 35 वर्ष से कम आयु के युवा लेखकों को 24 भारतीय भाषाओं में से किसी एक में उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य के लिए दिया जाने वाला यह एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है।

गुमला में 16 जनवरी 1994 को जन्मी पार्वती तिर्की की आरंभिक शिक्षा वहीं जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई। इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर के बाद वहीं से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पीएच डी की। पार्वती की कविता, कहानी और लोकगीत में अभिरुचि है। पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। इंद्रधनुष, सदानीरा, हिंदवी, समकालीन जनमत आदि वेबपोर्टल पर कविताएं प्रकाशित है। तद्भव, कथादेश, वनमाली कथा, इरावती, मधुमती, कृति बहुमत, सदानीरा (एंथ्रोपोसीन अंक), समय के साखी आदि साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित हैं। वागर्थ और इंडिया टुडे वार्षिकी अंक में कहानियां प्रकाशित हैं। ओड़िया, मराठी और अंग्रेज़ी भाषाओं में कुछ कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हैं। प्रलेक न्यास द्वारा ‘प्रलेक नवलेखन सम्मान- 2023’ पहले काव्य संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए मिल चुका है। कविताओं के लिए वनमाली सृजन पीठ द्वारा ‘विष्णु खरे युवा कविता सम्मान-2025’ भी।

पुरस्कार की रेस में आठ हिंदी की पुस्तकें थीं। इनमें सौरभ जैन के निबंध भारत भाग्य विधाता, विहग वैभव के कविता संग्रह मोर्चे पर विदा गीत, अदनान कफील दरवेश के कविता संग्रह ठिठुरते लैंप पोस्ट, पार्वती तिर्की की फिर उगना कविता संग्रह, शिव मोहन सिंह के खंड काव्य श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद, प्रकृति करगेती का कहानी संग्रह ठहरे हुए से लोग, आकृति विज्ञा अर्पण का गद्यपत्र लोकगीत सी लड़कीसांत्वना श्रीकांत के निबंध भारतीय स्थिति और गति। इनमें से पार्वती तिर्की का चयन किया गया।

पार्वती तिर्की के इस संग्रह की कविताएं सरल, सच्ची और संवेदनशील भाषा में लिखी गई हैं, जो पाठक को सीधे संवाद की तरह महसूस होती हैं। वे जीवन की जटिलताओं को बहुत सहज ढंग से कहने में सक्षम हैं। इन कविताओं में धरती, पेड़, चिड़ियां, चांद-सितारे और जंगल सिर्फ प्रतीक नहीं हैं-वे कविता के भीतर एक जीवंत दुनिया की तरह मौजूद हैं। राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा कि पार्वती तिर्की का लेखन यह साबित करता है कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ कविता में जी सकती हैं। उनकी कविताएं बताती हैं कि आज हिंदी कविता में नया क्या हो रहा है और कहां से हो रहा है। पार्वती तिर्की वर्ष 2024 में राजकमल प्रकाशन के सहयात्रा उत्सव के अंतर्गत आयोजित होनेवाले ‘भविष्य के स्वर’ विचार-पर्व में वक्ता भी रह चुकी हैं। संजय कृष्ण

(फेसबुक वाल से साभार)

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