
'उदयपुर फाइल्स' फिल्म को प्रदर्शित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देशभर में स्वागत
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट का ‘उदयपुर फाइल्स‘ फिल्म को प्रदर्शित करने के फैसले का देशभर में स्वागत हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक लगाने से इनकार किया है। यह लाखों भारतीय लोगों की भावनाओं का सम्मान है। एक व्यक्ति के साथ इस्लामिक कट्टरपंथ ने कितना बड़ा अन्याय किया और भारत में डर पैदा करने की कोशिश की, इस फिल्म से भारतीय जनमानस के सामने आ जाएगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म के रिलीज पर रोक लगा दी थी, इसे 11 जुलाई से सिनेमाघरों में प्रदर्शित होना था।
‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म को सिनेमाघरों मे प्रदर्शन से रोकने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट के साथ ही मुंबई हाईकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

मौलाना अरशद मदनी जमीअत के अध्यक्ष के मुताबिक ‘उदयपुर फाइल्स’ जैसी नफरत फैलाने वाली फिल्म समाज में भाईचारे के खिलाफ हैं। जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर में अशोभनीय टिप्पणियां की गई हैं। ये फिल्म देश की अमन-शांति और आवाम के बीच सांप्रदायिक सौहार्द को आग लगाने के लिए बनाई गई है। इसका एक पक्षकार आरोपी मोहम्मद जावेद भी था, जिसकी याचिका पर सुनवाई से कोर्ट ने मना किया।
देश के लाखों भारतीय ने विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान किया है। अब फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
टेलर कन्हैया लाल जिनकी हत्या उदयपुर में जिहादियों ने की थी आज उनकी पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ की मांग की है। उन्होंने लिखा, “वकील कपिल सिब्बल कह रहा है कि फिल्म रिलीज़ नहीं होनी चाहिए, मेरे बच्चों ने मुझे बताया है। लेकिन मोदी सरकार को फैसला लेना होगा। आप जानते हैं कि हमारे साथ बहुत अन्याय हुआ है। दुनिया को सच्चाई पता चलनी चाहिए।” कन्हैया लाल की पत्नी का यह दर्द असहनीय है, उनके पास अपने पति की क्रूरतापूर्ण हत्या का गहरा घाव है। उनकी आंखों में आंसुओं के “उदयपुर फाइल्स” फिल्म की रिलीज की मांग के साथ अपने पति की क्रूरतापूर्ण हत्या के विरोध मे न्याय और सच्चाई की मांग है।
यह फिल्म न केवल कन्हैया लाल के बलिदान को सामने लाएगी, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगी। इस फिल्म को जँचते हुए भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने लगभग 150 कट लगाए। इसके बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फ़िल्म को रिलीज होने से रोक है। यही कोर्ट PK फ़िल्म के समय कहती थी “जिसको देखना है वो देखे जिसको नहीं देखना मत देखो“।
उदयपुर में कन्हैया लाल जी की हत्या के आरोपी रियाज अत्तारी, गौस मोहम्मद के न सिर्फ पूरे अपराध का CCTV वीडियो है बल्कि उनका खुद के कबूलने का भी वीडियो है। किन्तु आज तक उन इस्लामिक कट्टरपंथी अपराधियों को मुकम्मल सजा नही मिली है। कोर्ट को और क्या सबूत चाहिए ? कोर्ट के ऐसे रवैये के कारण देश मे इस्लामिक कट्टरपंथी घटनाओं मे वृद्धि हो रही है और उनके द्वारा “सर तन से जुदा” के नारे लगाए जा रहे हैं।