
अरुण प्रधान : इंसानों की दुनिया में सबसे बड़ा पाप निर्दोष प्राणी की हत्या को माना गया है। किन्तु मानव दुनिया में निर्दोष इंसानों का भी जनसंहार हो रहा है और सबसे ज्यादा धार्मिक कट्टरता के आधार पर। वैसे में जानवरों की बात कौन करे, वह भी जब वह इंसानों के लिए भोजन का हिस्सा हो !
यह एक मार्मिक दृश्य है। यह अलग बात हो सकती है कि इस चलचित्र में पशु मुख्य है। किन्तु यह फिल्माया गया दृश्य वास्तविक है और कहीं न कहीं विचलित भी करता है।
सोशल साइट्स से लिया गया यह वीडियो थाईलैंड का बताया गया है किन्तु newspcm इसकी पुष्टि नहीं करता है। थाईलैंड एक ऐसा देश है जिसकी 94 % आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है। खैर।
विडिओ में दिखाया गया है कि मांस बाजार में एक गाय को वध कर उसका सिर कसाई की दुकान पर टांग दिया गया। और, भटकता हुआ बछड़ा अपनी माँ को पहचान लेता है और फिर वह बछड़ा अपनी मां के कटे-टंगे सिर से लिपट रहा है जैसे शिकायत कर रहा हो कि ‘मां, तुमको कहां नहीं खोजा और तुम यहां हो!’ किन्तु मां …!उस बछड़े की उसकी भावनाएँ कितनी पीड़ादायक हैं, कितना दयनीय दृश्य है।
किन्तु थाईलैंड के बड़े क्षेत्र में गोमांस नहीं खाया जाता है। थाईलैंड के तीन क्षेत्र जहां मुस्लिम, ईसाई और गैर-बुद्धिस्ठ और गैर-हिन्दु आबादी रहती है लाओस, उत्तरी और दक्षिणी थाईलैंड में विशेषकर गोमांस का उपयोग किया जाता है।
लाओस और उत्तरी थाईलैंड में, लैप या लार्ब (एक प्रकार का मांस सलाद) बनाने के लिए गाय के मांस या भैंस के मांस का उपयोग किया जाता है। दक्षिण थाईलैंड में मुस्लिम समुदाय की अधिकता के कारण इस क्षेत्र में गोमांस अधिक खाया जाता है, जहाँ कई प्रकार के मांसाहारी व्यंजन उपलब्ध होते हैं।
किंगडम ऑफ़ थाईलैंड का प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है। इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। ‘स्याम’ ही ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था।
‘थाई‘ शब्द का अर्थ थाई भाषा में ‘स्वतन्त्र‘ होता है। यह शब्द थाई नागरिकों के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी स्याम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है।
बौद्ध धर्म का थाईलैंड के राज परिवार पर सदियों से गहरा प्रभाव रहा है। माना यह जाता है कि थाईलैंड के राजा भगवान विष्णु के नाम से जानें जातें हैं। इसी भावना का सम्मान करते हुए थाईलैंड का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है। थाईलैंड में राजा को राम बोद्धिसत्व कहा जाता है।
यहां बौद्ध मंदिरों की भी भरमार है जिनमें भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियां स्थापित हैं। बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने के चलते विष्णु का अवतार मानते हैं। यहां के राजा को भगवान राम का वंशज माना जाता है।
थाईलैंड के बारे में एक बात भारत में आम तौर पर साजिश बतौर फैलाई गई और प्रचलन में स्थापित कर दिया गया। और, अब वह भारतीय मुर्खों के द्वारा बात बात में प्रयोग किया जाता है कि ‘फल्ना थाईलैंड गये थे मसाज कराने!’ क्योंकि थाईलैंड एक बुद्धिस्ट बहुल देश है। स्पष्टत: एक बौद्ध बहूल देश जो एक गैर-इस्लामिक और गैर-ईसाई देश है को बदनाम करने की साजिश है।(हम यहां किसी भी व्यक्ति अथवा समुह के भोजन व रहन-सहन की स्वतंत्रता का निषेध नहीं करते हैं) (साभार सोशल मीडिया)