
नई दिल्ली : आज GST 2.0 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GST में सुधार को लेकर राष्ट्र को संबोधित किया और इसे next Gen-z लेवल बताया और यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में बड़ा क़दम कहा।
प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन पर अब कांग्रेस पार्टी की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। साथ ही अपने फेसबुक पर भी उन्होंने अपने पार्टी के विचार को पोस्ट किया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि – “प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए जीएसटी काउंसिल, जो एक संवैधानिक निकाय है, द्वारा किए गए संशोधनों का पूरा श्रेय खुद को देने की कोशिश की। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (जीएसटी) का विरोध किया था। वर्ष 2006 से 2014 तक, आठ सालों तक सिर्फ़ एक मुख्यमंत्री ने जीएसटी का विरोध किया और वही मुख्यमंत्री 2014 में प्रधानमंत्री बने। फिर उन्होंने पलटी मारते हुए 2017 में खुद को जीएसटी का मसीहा बताना शुरू कर दिया।”

आगे जयराम रमेश ने कहा कि “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लंबे समय से यह तर्क देती आई है कि GST वास्तव में Growth Suppressing Tax है। इसमें कई समस्याएँ हैं -उच्च संख्या में टैक्स स्लैब, आम उपभोग की वस्तुओं पर दंडात्मक कर दरें, बड़े पैमाने पर चोरी और गलत वर्गीकरण, महंगी औपचारिकताओं का बोझ और एक उल्टा शुल्क ढाँचा (जहाँ आउटपुट पर इनपुट की तुलना में कम टैक्स लगता है)। हमने जुलाई 2017 से ही GST 2.0 की माँग की थी। यह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हमारे न्याय पत्र में एक प्रमुख वादा भी था।
वर्तमान जीएसटी सुधार अपर्याप्त प्रतीत होते हैं। लंबित मुद्दों में शामिल हैं –
- अर्थव्यवस्था में प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता – एमएसएमई की व्यापक चिंताओं का सार्थक समाधान किया जाना चाहिए। बड़े प्रक्रियात्मक परिवर्तनों के अलावा, इसमें अंतरराज्यीय आपूर्ति पर लागू होने वाली सीमाओं को और बढ़ाना शामिल है।
- विभिन्न सेक्टर से उभरे मुद्दे -जैसे वस्त्र, पर्यटन, निर्यातक, हस्तशिल्प और कृषि इनपुट – इनका समाधान किया जाना चाहिए।
- राज्यों को राज्य-स्तरीय जीएसटी लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि बिजली, शराब, पेट्रोलियम और रियल एस्टेट को भी इसके दायरे में लाया जा सके।
- सहकारी संघवाद की सच्ची भावना में राज्यों की प्रमुख माँग -यानी उनके राजस्व की पूरी सुरक्षा के लिए मुआवज़े को पाँच और वर्षों तक बढ़ाया जाए -इस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।
यह देखना बाकी है कि आठ साल की देरी से आए इन जीएसटी संशोधनों का दौर वास्तव में निजी निवेश को बढ़ावा देगा या नहीं, जो उच्च जीडीपी वृद्धि के लिए आवश्यक है। इस बीच, पिछले पाँच वर्षों में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा दोगुना होकर 100 अरब डॉलर पार कर चुका है। और भारतीय व्यापार भय और एकाधिकार के कारण पंगु हो रहा है, जिसके चलते कई व्यवसायी विदेश पलायन कर रहे हैं।
विपक्षी INDI गठबंधन का हिस्सा राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि- नरेंद्र मोदी अपनी असफलताओं को नया रैपर पहनाते है और कहते हैं कल से उत्सव मनाइए।
लेकिन कांग्रेस के जयराम रमेश और अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियास्वरूप आम प्रतिक्रियाएं भी सोशल मीडिया पर आने लगी है और इसमें प्रधानमंत्री के भाषण को डिफेंड किया जा रहा है। जिसमें एक ने कहा कि – जीएसटी कांग्रेस युग में “पूर्व” 17 करों का संग्रह था। जिसका हमने भुगतान किया : उपकर, वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, एंट्री टैक्स, लक्जरी टैक्स आदि…उन सभी को “जीएसटी” नाम से लाया गया था। कुछ भी नया नहीं जोड़ा गया। अगर आप (जयराम रमेश-कांग्रेस) जनता से झूठ नहीं बोलते हैं तो आप लोगों को मौका भी नहीं मिलता है।