
नई दिल्ली : भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात कर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित की गई।
बैठक में दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने, रक्षा सहयोग, तकनीकी आदान-प्रदान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा पर विचार-विमर्श किया।
इसके अलावा, वैश्विक चुनौतियों जैसे आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता पर भी बातचीत हुई। दोनों पक्षों ने लोकतंत्र, खुला व्यापार और स्वतंत्र नौवहन मार्गों के महत्व पर सहमति जताई।
जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध आज वैश्विक शांति और प्रगति के लिए अहम स्तंभ बन चुके हैं। वहीं रुबियो ने भारत को अमेरिका का “विश्वसनीय रणनीतिक भागीदार” बताया।
जयशंकर–रुबियो मुलाकात का महत्व
चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर नौसैनिक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करे। यह बैठक संकेत देती है कि भारत और अमेरिका दोनों इंडो-पैसिफिक में बैलेंस ऑफ पावर बनाए रखने पर सहमत हैं।
अमेरिका भारत में उन्नत तकनीक, एआई, सेमीकंडक्टर और रक्षा उद्योग में निवेश बढ़ाना चाहता है। भारत के लिए यह अवसर है कि वह “मेक इन इंडिया + मेक फॉर वर्ल्ड” के तहत अपनी मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बूस्ट करे।
भारत अमेरिका से ड्रोन, जेट इंजन और मिसाइल सिस्टम जैसे क्रिटिकल डिफेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोशिश कर रहा है। यह मुलाकात इन वार्ताओं को आगे बढ़ाने का संकेत है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और वेस्ट एशिया संकट पर भारत संतुलित भूमिका निभा रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत इन मुद्दों पर पुल (Bridge) की भूमिका निभाए।
5. भारत का फायदा
भारत इस साझेदारी से आर्थिक लाभ, तकनीकी उन्नति और वैश्विक प्रभाव हासिल कर सकता है। साथ ही, भारत अपनी “रणनीतिक स्वायत्तता” (Strategic Autonomy) बनाए रखते हुए रूस और अमेरिका – दोनों से संबंध संतुलित रखने में सक्षम दिख रहा है।
संवाददाता @रोहित कुमार