लेह : लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक को आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी 24 सितंबर 2025 को हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हुई है, जिनमें चार लोगों की मौत और लगभग 100 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई थी।

वांगचुक लंबे समय से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, लद्दाखी आदिवासियों के लिए संवैधानिक अधिकार और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग उठा रहे हैं। इसी मांग को लेकर उन्होंने 10 सितंबर से अनशन शुरू किया था, जो 15 दिन तक चला।

लेकिन 24 सितंबर को लेह में आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचा और पुलिस की कार्रवाई में जानें गईं। हालात बिगड़ने पर वांगचुक ने अपना अनशन तोड़ दिया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

26 सितंबर को पुलिस ने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया। सरकार का आरोप है कि वांगचुक के भाषणों और बयानों ने युवाओं को हिंसा के लिए उकसाया।

गृह मंत्रालय ने उनकी संस्था SECMOL का FCRA लाइसेंस भी रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि विदेशी फंडिंग नियमों का उल्लंघन हुआ है।

गिरफ्तारी के साथ ही लेह और आसपास के इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ निलंबित कर दी गईं और कई जगह कर्फ्यू लागू किया गया।

वांगचुक ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा शांति की अपील की है और हिंसा उनकी नीयत का हिस्सा नहीं थी।

विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया। पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने इस कदम को “अफसोसजनक” कहा, जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मोमबत्ती मार्च निकालने की घोषणा की। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने लद्दाख आंदोलन को अब एक नए मोड़ पर पहुँचा दिया है। संवाददाता@रोहित कुमार

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