
'नायक-खलनायक' क वयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की एक कविता
“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की एक कविता ‘नायक-खलनायक’…
खाने में स्वाद बढ़ाकर
जिह्वा को तृप्त करें
पानी को औषधि बनाकर
शरीर को स्वस्थ करें
घाव पर लगा दे
जख्म में आग लगा दे
रिश्तों में पड़ जाए
मन की दरार बढ़ा दें
आँखों में चला जाए
दृष्टि बंद हो जाए
काम में मिल जाए
परिणाम ध्वस्त हो जाए
सफेदी की चमक उसमें
अंधेरे का कालापन उसमें
बनाता वही
बिगाड़ता वही है
नमक ही नायक
नमक ही खलनायक l – डॉ. प्रेरणा उबाळे (रचनाकाल- 31 मई 2025)
बढ़िया…!
… प्रशान्त थोरात, गुरुकृपा
9921447007
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