
“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “ आद्यबिंब …”
“कवि और कविता” श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “ आद्यबिंब …”
■ आद्यबिंब – डॉ. प्रेरणा उबाळे
घुप्प अंधेरा रात को
जगमग किरणें सुबह-सवेरे
बीहड़ वन वृक्ष देवदारु
पर्वत मालाएं दूर-दूर
बीहड़ वन से एक दिन
निकलता दिखाई दिया धुंआ
दूर-दराज से गुजरते राहगीर
बस तर्क लगाते रह गए
खोजबीन करते पत्रकार
आद्यबिंब गढते रह गए
और नियमित प्रबुद्ध पाठक
बस सोच-विचार में पड़े रहें… – डॉ. प्रेरणा उबाळे (रचनाकाल: 09 मई 2025)