प्रधानमंत्री मोदी ने गारंटी दी और 7 मई को आज पूरा भी किया ! कश्मीर, पहलगाम के बैसरन घाटी में इस्लामिक आतंकियों द्वारा हिन्दु पर्यटकों का धर्म पूछकर, कपड़े उतरवा और कलमा पढ़वाकर गोली मारकर हत्या करने का गुस्सा पूरे देश में है और लोग इस आतंक का बदला चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से वादा किया और उस वादे को पूरा भी कर दिया। पहले सिन्धु नदी जल समझौता को भारत ने रद्द किया और फिर पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमला कर आतंकी शेल्टर को नष्ट करने की कोशिश की है।

इन पाकिस्तानी ठिकानों पर भारतीय थल सेना के हमलों का विवरण 7 मई 2025 राष्ट्रीय मीडिया को कर्नल सोफिया ताजुद्दीन कुरैशी ने दिया तो विश्व के साथ-साथ भारत में सेना और मोदी को गाली देनेवाले और विपक्षी पार्टियां INDI_Alliance को खासकर अचरज हुआ। आखिर सोफिया (मुस्लिम) ही प्रवक्ता क्यों थीं ? सोफिया के साथ वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं। विपक्ष और उनके समर्थक किस कदर साम्प्रदायिक हैं, यह अब स्पष्ट हो चुका है छिपा हुआ नहीं है।

भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैश वंश की हैं। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब भी कुरैश वंश के थे। कर्नल सोफिया के पति मेजर ताजुद्दीन कुरैशी इन्फेंट्री में अधिकारी हैं, चेन्नई सैनिक अकादमी से हैं। वर्ष 2016 में सोफिया ने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय दल का नेतृत्व किया था, जो भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था। इस सैन्‍य अभ्यास में भाग लेने 18 देश के सैन्य दलों में कर्नल सोफिया कुरैशी एकमात्र महिला कमांडर थीं। वडोदरा गुजरात से विज्ञान, जैव रसायन में स्नातकोत्तर डिग्री ले चुकी सोफिया के दादा भी भारतीय सेना में थे। कर्नल सोफिया कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत 6 वर्ष तक और साल 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में भी सेवा दी हैं।

दूसरी, वायुसेना से विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग की थीं, हेलीकॉप्टर पायलट हैं। विंग कमांडर व्योमिका अधिक जोखिम वाले इलाकों का अनुभव रखने वाली पायलट हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर सहित कुछ सबसे कठिन इलाकों में चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों का संचालन किया है। नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में कई प्रमुख अभियान विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा संचालित किया गया है। ये अभियान ऊंचाई, कठिन मौसम और दूरदराज के स्थानों पर किए गए थे, जहां जीवन बचाने के लिए हवाई सहायता महत्वपूर्ण है।

पहलगाम आतंकी हमले के बदले में पाकिस्तान पर सैन्य हमले की प्रेस ब्रीफिंग में भारतीय सेना के इन दोनों प्रवक्ताओं का महिला होना एक संदेश है देश के अंदर रह रहे साम्प्रदायिक समुह-समुदाय तथा विपक्ष को और दुनिया को कि पूरा भारत एकजुट है।

इस प्रतिशोधात्मक हमले का नाम नरेंद्र मोदी द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” रखा गया था। जो 22 अप्रैल 2025 को इस्लामिक आतंकियों द्वारा हिन्दु पर्यटकों की पहलगाम में हत्या की गई थी, जिसमें कुछ महिलाओं के सिंदूर मिट दिए गए वे विधवा हो गईं। जब आतंकियों ने कहा था कि ‘जा कर मोदी से पुछो !’ यही कारण रहा प्रधानमंत्री द्वारा इस पूरे हमले की कार्यवाही का नामकरण किया गया ऑपरेशन “सिंदूर” और इस नाम से आतंकियों पर हमला किया गया।

शायद इस बार के पाकिस्तानी आतंकी हमले पर तीव्र कार्यवाही इसलिए हुई क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। याद कीजिए 24 दिसंबर 1999 को भारत का विमान हाईजैक कर के आतंकी कंधार ले गए थे जिसमें मसूद अजहर शामिल था। तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे। सरकार ने भयभीत होकर तीनों आतंकियों को रिहा कर दिया था। लेकिन इस बार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के हमले में जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक इस मसूद का पूरा परिवार बम से उड़ा दिया गया। मोदी ने अटल बिहारी वाजपेई की भयंकर भूल का बदला आज ले लिया।

अटलजी प्रधानमंत्री थे तो भारत के दिल्ली में संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकवादी हमला हुआ था। यह हमला करने वाला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन के लोग थे। इस हमले में कुल 14 लोगों की जानें गई थी।

इस भाजपाई प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को आदेश दे रखा था कि पाकिस्तानी सीमा पर मुस्तैदी से खड़े रहो। कांधार और संसद पर हमले वाली घटनाओं पर भारत सरकार अपने लिबलिबेपन की शिकार थी।

ऐसा ही वाकया कांग्रेसी प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (सोनिया गांधी) के राज में हुआ था। तब एक पाकिस्तानी आतंकी गिरोह ने 26-29 नवंबर 2008 को मुंबई में ताज होटल पर हमला कर अजमल कसाब ने 166 भारतीयों को मार डाला था और 300 को घायल कर दिया था। कांग्रेस के गृहमंत्री शिवराज पाटिल के पास मुंबई के आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही पर शीघ्रता की सोच या जरूरत की भावना नहीं थी। लेकिन नरेंद्र मोदी ने पहलगाम में इस्लामिक आतंकियों द्वारा हिन्दु पर्यटकों के नरसंहार पर जो कहा वो किया।

किन्तु विपक्षी राजनेताओं खासकर कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के चेहरे पर आज भी जो मातम और उदासी है वह उसके बयान से स्पष्ट हो गया। राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहलगाम आतंकी नरसंहार के बदले की कार्रवाई में सिन्धु जल समझौता रद्द करने की निंदा की और पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा हमले का श्रेय सिर्फ सेना को दे रहे हैं। क्योंकि पीछे कई बार इन लोगों ने भारतीय सेना से सबूत मांगे और दोषारोपण कर चुके हैं ! किन्तु ये फिर यह भूल गए कि सरकार और सरकार का नेतृत्व करने वाली पार्टी तथा व्यक्ति दोनों जिम्मेवार और साहसी हो यह तभी संभव है। सेना के साथ मोदी और देश खड़ा है और सेना को आदेश मोदी दे रहा है !

लेकिन पाकिस्तान की तरह ही भारत का विपक्ष इस बार भी पहलगाम इस्लामिक आतंकी द्वारा धर्म पूछकर हिन्दु पर्यटकों के नरसंहार से भारत में साम्प्रदायिक दंगों की आश लगाए राजनीतिक रोटी सेंकने को तैयार बैठा है। अरुण प्रधान

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