
'कवि और कविता' श्रृंखला में डॉ प्रेरणा उबाळे की कविता 'सहज'
‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ प्रेरणा उबाळे की कविता ‘सहज हो’ …
सहज हो – डॉ प्रेरणा उबाळे
सहज हो जीव
सहज हो शिव
अंतर पाटे मन
पाए स्नेह जन
कोमल भाव
कोमल हृदय
वाणी मधुर
ओजस नयन
तेजस कृपा सृष्टि
अनुभूत दया वृष्टि
कार्य हो पृथा
बोध हो सर्वथा
श्रेष्ठ कर्म
विश्व मान
हो पार्थ
कर सार्थ
सहज हो आगमन
सहज हो निर्गमन l
डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, आलोचक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर, पुणे-411005, महाराष्ट्र) @Dr.PreranaUbale