
चक चक Rajkamal Goswami
– राजकमल गोस्वामी
पारसियों का आख़िरी बादशाह यज़्दगर्द हार गया । अरब विजेताओं ने उसकी लड़कियों को पकड़ लिया जो माले ग़नीमत के तौर पर मदीना ले जाई गईं । उनमें से शहरबानू को हज़रत अली ने अपने बेटे हुसैन के लिए पसंद कर लिया और शादी कर दी । कर्बला के मैदान में शहरबानू मौजूद थीं । कर्बला के बाद उनका क्या हुआ उस पर कई कहानियाँ हैं ।
शहरबानू की एक बहन निकूबानू अरबों के हाथ पड़ने से बच निकली । उसका पीछा किया गया और एक पहाड़ के किनारे उसे घेर लिया गया । पारसियों की मान्यता है कि शत्रुओं से घिर जाने पर निकूबानू ने पारसियों के परमेश्वर अहुर माज़्दा से बड़ी करुण प्रार्थना की तो पहाड़ बीच से खुल गया जिसमें वह समा गई और पहाड़ फिर से पहले जैसा हो गया । यह घटना जिस स्थान पर हुई उसे चक चक कहते हैं । ईरान के यज़्द शहर में पीरे सब्ज़ के पास चक चक पारसियों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है ।
१४ से १८ जून को दुनिया भर से दस पन्द्रह हज़ार पारसी वहाँ हर साल एकत्र होते हैं । वहाँ पहाड़ में से बूँद बूँद कर पानी टपकता रहता है । कहा जाता है कि ये पर्वत के आँसू हैं जो निकूबानू और पारसी धर्म की विलुप्ति के शोक में आज भी झर रहे हैं ।
एक बार जज साहब की तीर्थयात्रा वहाँ बनती है । हो आएँ तो शायद वहाँ का इतिहास कुछ नये सिरे से लिखा जा सके और इन टपकते हुए आँसुओं के लिए वास्तविक रूप से ज़िम्मेदार व्यक्ति की पहचान सबके सामने आ सके। (साभार)