
अभाव की नजर* - डॉ प्रेरणा उबाळे
‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की एक कविता ‘अभाव की नजर …’

अभाव की नजर
किसी की अभाव की नजर
चीरती है हृदय को
पहले ही क्षण में
पर
अभाव की नजर
तब ज्यादा गहरी होती है
जब वह अपनी सजल,
डबडबाई आँखों से
अभाव को छुपाने की
असफल कोशिश करती है
और
तब महसूस होता है-
मेरे पास किसी वस्तु का
“होना”
और उसके पास
“न होना”
कितना पीड़ादाई है !
उसके आँखों की सजलता
अब मेरी आँखों में उतर आती है
और
विचार स्पर्श कर जाता है
मन को
……..
सच ही तो है
हम सबका अपराध है यह
क्योंकि
विषमता के विडंबना की
गहरी खाई को
मिटाने की कोशिश किसीने की ?
कदाचित-
…….
उत्तर हम सबको पता है….
डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, आलोचक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर, पुणे-411005, महाराष्ट्र) @Dr.PreranaUbale