
औरंगाबाद: उत्तर कोयल नहर को पूरा करने की मांग को लेकर औरंगाबाद और प्रभावित किसानों का धरना-प्रदर्शन लगभग दो महिने से लगातार जारी है। बिहार सरकार इन किसानों से न तो बात कर रही है, न किसी तरह का आश्वासन दे रही है और न हीं कोई खोजखबर ले रही है। सरकार के इस उदासीन रवैए से किसान आहत हैं।
अपने धरना-प्रदर्शन के दो माह पूरे होने के बाद भी सरकार के इस रवैए से आहत किसान और क्षेत्र की जनता ने अब महापंचायत बुलाने का मन बनाया है जिसे लेकर किसान मजदूर मोर्चा (मगध) एवं प्रगतिशील किसान संघ (बिहार) ने गुरारू प्रखण्ड में संयुक्त बैठक बुलाकर तैयारी पर चर्चा की। जिसकी अध्यक्षता चन्द्रशखर प्रसाद यादव ने की।
बिहार किसान नेता संतोष गिरि ने बताया कि इस बैठक में मुख्य विषय में बिहार सरकार द्वारा उतर कोयल नहर से जुड़े इलाके के किसानों के साथ हो रहे अन्याय व अत्याचार के खिलाफ 10 अप्रैल 2025 को जंकरिया खेल के मैदान किसान महापंचायत बुलाने का फैसला लिया गया एवं किसानों की मुख्य मांग को लेकर सरकार के खिलाफ संघर्ष को तेज करना है। आज के समय में किसानों मजदूरों के ऊपर शोषण, दमन, अत्याचार बढ़ गया है साथ ही बिहार के किसानों में भी आत्महत्या जैसे प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। यह राज्य सरकार की किसान के प्रति उदासीनता का परिणाम है।
बिहार के इस क्षेत्र की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना उतर कोयल नहर जो 1970 की योजना थी जिसे वर्ष 1980 में चालु करना था वह आज तक अधर में पड़ा है। वैसे हीं M.S.P की कानुनी गारंटी, कृषि यंत्रों पर MRP नहीं दर्शाना, कृषि कार्य हेतु मुफ्त बिजली मुहैया नहीं कराना इत्यादी अनेकों समस्या आज किसानों के सामने बनी हुई है। इन सारे समस्याओं के समाधान के लिए किसान महापंचायत के माध्यम से किसानों को एकजुट कर कॉर्पोरेटवादी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष को तेज किया जाएगा।
इस बैठक में किसान नेता रामचंद्र आजाद (पूर्व जिला पार्षद कोंच), लक्षमन यादव (वर्तमान मुखिया पति उबुर पंचायत), प्रमोद शर्मा (वर्तमान पंचायत समिति डबुर पंचायत), बालकुमार यादव, पारस पासवान, रंधिर सिंह, सरयु प्रसाद, कामेश्वर यादव, रामपर्त शर्मा, बेजू यादव, लालघारी यादव, सकल पासवान, भिवसंत शर्मा, कुलेन्पाद्र मांझी, उमेश यादव, महादेव जी पूर्व सरपंच, शिवसंकर यादव, रामविलाम मांझी (पूर्व मुखिया), रामप्रवेश यादव, नागदेव यादव, कृष्णा प्रसाद, बिन्देश्वर प्रसाद, रौदी यादव सहित दर्जनों किसान नेता उपस्थित थे और सभी नेताओं ने अपने विचार रखते हुए औरंगाबाद के किसानों का आह्वान किया कि “यह फैसले की घड़ी है आओ हमसब मिलकर संघर्ष तेज करें” !