
हेमंत सोरेन सरकार नगड़ी आदिवासी किसान की सैकड़ों एकड़ जमीन कर रही जबरन कब्जा, बाबूलाल ने कहा बंजर जमीन तलाशे सरकार
रांची : शनिवार 31 मई को ग्रामिणों के बुलावे पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांके नगड़ी गाँव का दौरा किया। झारखंड सरकार RIMS 2 के निर्माण के लिए नगड़ी की जमीन को दुबारा ग्रामीणों के विरोध के बावजूद जबरन कब्जा कर रही है। कोई आश नहीं दिखते ग्रामीणों ने राज्य के विपक्षी नेता बीजेपी के बाबूलाल मारंडी से मदद की गुहार लगाई थी। नगड़ी पहुंचे बाबूलाल मारंडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को नगड़ी की कृषि भूमि पर रिम्स नहीं बनाना चाहिए, यहाँ के लोगों के पास यह जमीन ही जीविका का अंतिम सहारा है। यहाँ से 5-10 किलोमीटर दूर और बंजर जमीन तलाश कर, वहाँ बनाए।
दरअसल, राजधानी रांची के कांके प्रखंड का नगड़ी गाँव के ग्रामीण अब दुबारा आन्दोलन की राह पर निकल पड़े हैं। ज्ञात हो कि झारखण्ड में आदिवासियों की अपनी सरकार और मुख्यमंत्री हैं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा JMM के नेता और दिशोम गुरु शिबु सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन। और अभी आंदोलित ग्राम नगड़ी भी आदिवासी गाँव है। इस गाँव की कृषी जमीन का राज्य सरकार जबरन अधिग्रहण कर रही है।

अभी ताजा मसला भी झारखण्ड के नगर विकास योजना के तहत राज्य सरकार रांची राजधानी के विकास के लिए इसी जबरन भूमि अधिग्रहण का है। रांची राजधानी में ‘राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज’ RIMS राज्य की मुख्य चिकित्सा केंद्र है। अब राज्य सरकार रिम्स (Rajendra Institute of Medical Sciences)-2 का निर्माण करना चाह रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने कांके-पतरातू रोड पर नगड़ी की जमीन चिन्हित की है। यह स्थान ‘नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी’ (NLU) के बगल में नगड़ी में है और यह NLU भी नगड़ी की जमीन पर ही बना है।

यह बनने वाला रिम्स-2 पहले सुकरहुटू में प्रस्तावित था। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री सहित अधिकारियों के दल ने स्थल निरीक्षण भी किया था और इसे फाइनल कर लिया गया था। लेकिन इस जमीन पर बीएयू ने दावा कर दिया था, बीएयू का यहां रिसर्च फॉर्म है। इस जमीन पर रिनपास भी दावा करता रहा है। इसकी जांच भी राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने करायी थी। यहां पहले IIIT का निर्माण होना था, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण निर्माण नहीं हो पाया था। अभी 207 एकड़ जमीन पर रिम्स 2 का निर्माण प्रस्तावित है। यहीं इन संस्थानों के लिए आवासीय परिसर का निर्माण भी कराया जायेगा।

दरअसल, कांके प्रखंड के नगड़ी जमीन अधिग्रहण का मामला पुराना है और सरकार तथा आदिवासी ग्रामीणों के बीच विवाद भी इतना ही पुराना है। झारखण्ड राज्य अलग बनने के पहले पूर्ववर्ती राज्य सरकार (बिहार) द्वारा वर्ष 1958-59 में राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय/बिरसा कृषि विश्वविद्यालय कांके के नाम पर नगड़ी थाना सं० 53 में यह सैकड़ों एकड़ भूमि अधिग्रहण किये गए थे।वर्ष 2011-12 के दौरान राज्य सरकार अपने कथित अधिग्रहित जमीन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय BAU के बाहर की जमीन पर कब्जा की प्रक्रिया शुरू की थी जिसका उस समय नगड़ी के रैयतों ने भारी विरोध किया था और आन्दोलन के दौरान राज्य सरकार द्वारा जबरदस्ती के विरोध में प्रशासन के साथ हिंसक झड़प हुआ था।

इस धरना-आन्दोलन में कुछ ग्रामीणों ने अपनी जान भी गंवाई थी। नगड़ी के ग्रामीणों के भारी विरोध और स्थानीय विधायक-सांसदों और NGO दिग्गज नेताओं द्वारा “जान देंगे-जमीन नहीं देंगे” के नारों और उनके वादे के बाद भी राज्य सरकार उस जमीन को जबरन कब्जा करके नगड़ी की जमीन पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बना दिया। लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन मालिक आदिवासियों को एक भी लाभ नहीं मिला न ही मुआवजे की राशी मिली। आदिवासी राज्य सरकार के दावों और वादों के बाद भी नगड़ी की अपनी खेती की जमीन गंवाने वाले आदिवासी किसान और उनके जवान होते बच्चे के हाथ खाली रहे, हाथ से जमीन गयी लेकिन न उचित मुआवजा, न सम्मानित पुनर्वास, न आवास, न रोजगार और न नौकरी मिली।

उस दौरान लॉ यूनिवर्सिटी के बाद की जमीन को राज्य सरकार ने खाली छोड़ दिया था, अब उस खाली जमीन को सरकार दुबारा अपने कब्जे में ले रही है। नगड़ी के ग्रामीण इस बार भी पहले की तरह डरे हुए हैं कि इस बार भी उनके हाथ कुछ भी नहीं लगेगा और जमीन भी छीन जाएगी।
नगड़ी की जमीन पर कब्जे के लिए हेमंत सोरेन सरकार की चहल पहल के साथ ही ग्रामीण भी संघर्ष के लिए संगठित होने लगे हैं, अखड़ा में बैठकें हो रही है और अपनी जमीन बचाओ संघर्ष में आम आदिवासी समाज का आह्वान कर रहे हैं और समर्थन की अपील कर रहे हैं।

दिनांक 28 मई 2025 को नगड़ी बचाओ संघर्ष समिति द्वारा बैठक देर रात तक चली। इस बैठक में नगड़ी की जमीन को बचाने लिए नगड़ी गांव के ग्रामीणों के अलावा पूर्व शिक्षा मंत्री गीता श्री उरांव, युवा आदिवासी नेता प्रेमसाही मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, कुंदरसी मुंडा, राहुल तिर्की, संदीप तिर्की, नगड़ी अखाड़ा अध्यक्ष रंजीत टोप्पो, विकास टोप्पो, छोटुभाई टोप्पो और अन्य लोग भी उपस्थित थे। सभी लोगों ने एक स्वर में सहमति जताते हुए आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया है। इस अखाड़ा में उपस्थित कांके विधायक कांग्रेस नेता सुरेश बैठा ने कहा कि वह ग्रामिणों की बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए समय ले रहे हैं। विधायक सुरेश बैठा ने कहा कि गांव में दो तरह के विचार हैं। महिलाएं कह रही है कि पहले हम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेंगे और वे हमलोगों को क्या आश्वासन देते हैं उसके बाद हम सब विचार करेंगे कि जमीन सरकार को दें या नहीं।
विधायक सुरेश बैठा ने कहा कि हम पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिल कर जमीन के बदले ग्रामिणों को उचित मुआवजा, थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नौकरी पक्का कराएंगे और रिम्स 2 में नौकरी और दुकान में प्राथमिकता दिलाने के आश्वासन दें, हम सब मिलकर प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन राज्य प्रशासन चिन्हित जमीन की मापी कर यहां पिलर गाड़ने का काम शुरू कर दिया है। प्रस्तावित स्थल के आसपास पुलिस की भारी भरकम व्यवस्था भी है। लेकिन नगड़ी जमीन पर सरकार के पुन: जबरदस्ती कब्जा से ग्रामीण आतंकित हैं, वर्ष 2012 की याद पुन: डरा रही है, झारखंड सरकार से मिले घाव अभी भरे भी नहीं हैं ! सूत्रों के अनुसार झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी देश से बाहर हैं।