
विज्ञान किसके जिज्ञासा का विषय नहीं होगा ! इसलिए विज्ञान की एक खोज भी लोगों को उनके मुताबिक आकर्षित करता है। फिलहाल, विज्ञान ने एक नयी खोज से भौतिकी में चमत्कार कर दिया है। विज्ञान में यह नई उपलब्धि इटली के वैज्ञानिकों ने हासिल की और इस अनोखी खोज के साथ इतिहास रच दिया। इन वैज्ञानिकों ने प्रकाश को ठोस अवस्था में बदलने में सफलता हासिल की है, जो क्वांटम फिजिक्स में एक ऐतिहासिक खोज मानी जा रही है।
यह खोज कि प्रकाश एक सुपरसॉलिड के रूप में व्यवहार कर सकता है, जो एक दुर्लभ अवस्था है। इस खोज के बाद अब हमें और बेहतर और फास्ट कम्प्यूटर और इंटरनेट मिलेगा। संचार से लेकर मेडिकल, अंतरिक्ष जैसे हर क्षेत्र में चीजें बेहतर होंगी। जब इस धरती पर जीवन शुरू हुआ था तब सूरज की किरणों को भी चमत्कार समझा जाता था। तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन इस रोशनी को ठोस भी बनाया जा सकता है लेकिन वैज्ञानिकों ने कर दिखाया।
इटली के नेशनल रिसर्च काउंसिल और पाविया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि प्रकाश एक ‘सुपरसॉलिड’ अवस्था में आ सकता है, जहां यह ठोस की तरह संरचित होने के बावजूद बिना किसी घर्षण के प्रवाहित हो सकता है। सुपरसॉलिड अवस्था एक दुर्लभ क्वांटम स्थिति है, जिसमें पदार्थ ठोस की कठोरता रखता है, लेकिन द्रव की तरह प्रवाहित हो सकता है। यह क्वांटम फिजिक्स का एक अनूठा सिद्धांत है, जिसमें प्रकाश और पदार्थ की विशेष परिस्थितियों में संयुक्त अवस्था उत्पन्न होती है। इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने पारंपरिक ठंडा करने की प्रक्रिया के बजाय क्वांटम तकनीकों का उपयोग किया। वैज्ञानिकों ने लेजर और विशेष गैसों जैसे रूबिडियम एटम्स का उपयोग किया। उन्होंने गैलियम आर्सेनाइड से बनी एक विशेष संरचना का उपयोग किया, जिसमें सूक्ष्म लकीरें थीं। इस संरचना पर लेजर फायर करके हाइब्रिड प्रकाश-पदार्थ कण बनाए गए, जिन्हें पोलरिटॉन कहा जाता है। जब फोटॉनों की संख्या बढ़ाई गई, तो वैज्ञानिकों ने सुपरसॉलिडिटी के संकेत देने वाले पैटर्न देखे।
इटली के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाश को ठोस अवस्था में बदलने की खोज, जिसे सुपरसॉलिड कहा जाता है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह खोज न केवल हमारी समझ को बढ़ाती है बल्कि कई क्षेत्रों में अनुप्रयोगों की संभावनाओं को भी खोलती है। प्रकाश के सुपरसॉलिड अवस्था की यह खोज के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं :
1. क्वांटम फिजिक्स में प्रगति : यह खोज क्वांटमफिजिक्स के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें पदार्थ की अवस्थाओं और उनके गुणों के बारे में अधिक समझने में मदद करती है।
2. बेहतर कम्प्यूटर और इंटरनेट : सुपरसॉलिड कीखोज से भविष्य में बेहतर और तेज़ कम्प्यूटर और इंटरनेट की संभावना बढ़ सकती है, जिससे डेटा प्रोसेसिंग और संचार में क्रांति आ सकती है।
3. चिकित्सा और अनुसंधान में प्रगति : यह खोजचिकित्सा अनुसंधान और उपचार में भी नए अवसर प्रदान कर सकती है, जैसे कि बेहतर चिकित्सा इमेजिंग और लक्ष्यित उपचार।
4. अंतरिक्ष अनुसंधान में सुधार : सुपरसॉलिड केगुणों का उपयोग अंतरिक्ष अनुसंधान में भी किया जा सकता है, जैसे कि बेहतर प्रोपल्शन सिस्टम और संचार प्रौद्योगिकियाँ।
5. नई प्रौद्योगिकियों का विकास : यह खोज नईप्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा दे सकती है, जैसे कि क्वांटम कंप्यूटिंग, जो हमारे डिजिटल जीवन को और भी उन्नत बना सकती है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह खोज अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को विकसित करने में समय लगेगा। फिर भी यह खोज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस खोज पर टिप्पणियां आने लगी है और कई तरह की आलोचना भी होनी शुरू हो गई है।
लोगों का कहना है कि यह सत्य है कि इटली के वैज्ञानिकों ने हाल ही में प्रकाश को ठोस अवस्था में बदलने में सफलता प्राप्त की है, जिसे क्वांटम भौतिकी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। किन्तु –
प्रकाश को पूरी तरह ठोस में बदलना संभव नहीं है। वैज्ञानिकों ने प्रकाश और पदार्थ के कणों के संयोजन से एक विशेष क्वांटम अवस्था बनाई है, लेकिन यह ठोस प्रकाश नहीं है। प्रकाश को सॉलिड में बदला यह सिर्फ एक अफवाह है। असल में हुआ यह है कि प्रकाश को कुछ विशिष्ट दुर्लभ पदार्थों में प्रवाहित कर के ऐसा संयोजन बनाया गया है कि प्रकाश लगातार उन पदार्थों के अणुओं में विकिरण करता रहा है जिससे उस संयोजन के क्षेत्रफल को प्रकाश की वजह से देखा जा सकता है जो कि प्रकाश की अनुपस्थिति में दिखते नहीं है… बस इतना ही कर पाए हैं !
दरअसल, प्रकाश पदार्थ की अवस्था नहीं है, यह एक ऊर्जा है। प्रकाश स्थान नहीं घेरता है, इसका कोई द्रव्यमान या आयतन नहीं होता है और इसलिए इसे पदार्थ नहीं माना जाता है। पदार्थ परमाणुओं से बना होता है, जबकि प्रकाश वास्तव में विद्युतचुंबकीय विकिरण है।
वैज्ञानिकों ने प्रयोगों में प्रकाश को बहुत ठंडे परमाणुओं (जैसे बोस-आइंस्टीन कंडेसेट) के माध्यम से इतना धीमा कर दिया है कि यह लगभग “रुक” जाता है यानि कि प्रकाश को धीमा किया है। इससे प्रकाश ठोस नहीं बनता, लेकिन इसका व्यवहार बदल जाता है। यह फोटोनिक क्रिस्टल में बदल जाता है। कुछ संरचनाएँ प्रकाश को इस तरह से नियंत्रित करती हैं कि वह विशिष्ट तरीके से व्यवहार करता है, लेकिन यह अभी भी ठोस नहीं है।
क्या प्रकाश को पदार्थ में परिवर्तित किया जा सकता है ? जवाब है कि सैद्धांतिक रूप से, प्रकाश (ऊर्जा) को पदार्थ में बदला जा सकता है, E=mc² के अनुसार, जैसे इलेक्ट्रॉन और पॉज़िट्रॉन बनाना। यह प्रक्रिया हुई है, लेकिन यह ठोस बनाने से अलग है। लेकिन अभी भी नित्यप्रयोग या व्यवहार में इस अवस्था को लाने में जितनी चुनौतियां हैं वह इसकी मदद से फ़ास्ट कंप्यूटर आदि बनाने को लगभग नामुमकिन बनाता है। व्यवहार के बजाय यह एक आदर्श स्थिति के ज़्यादा क़रीब है। एब्सोल्यूट ज़ीरो या -२७३ डिग्री सेल्सियस से भी नीचे का तापमान (जिस पर प्रकाश जमाया गया है) लंबे समय तक बनाये रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह वैज्ञ खोज महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे “प्रकाश को ठोस में बदलने” जैसा बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाया जाना चाहिए। अभी यह क्वांटम स्तर पर हुई एक प्रयोगशाला खोज है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ आम जीवन में आने में समय लगेगा। बरहाल यह खोज मैडम क्यूरी और रदर फोर्ड के परमाणु सिद्धांत को भी बदल कर रख देने वाला खोज साबित हो गया है।
यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग और ऑप्टिकल प्रौद्योगिकियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, क्योंकि सुपरसॉलिड प्रकाश क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) को अधिक स्थिर बना सकता है, जिससे क्वांटम कंप्यूटिंग में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, यह खोज ऑप्टिकल डिवाइस, फोटोनिक सर्किट और संवेदनशील क्वांटम डिटेक्टर के विकास में भी मददगार साबित होगी।
साइंस और सांइटिस्ट ऐसे ही काम करते हैं बस उसके लिए उनके आसपास बेहतर और सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत है। अफसोस हमारे भारत में इसकी कमी है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह खोज अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को विकसित करने में समय लगेगा। फिर भी यह खोज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो भविष्य में कई नए अवसर प्रदान कर सकती है।
-अरुण प्रधान