‘जो भा गया था‘ कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की ‘बारिश’ शृंखला की तीसरी कविता

‘जो भा गया था‘ कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की ‘बारिश’ शृंखला की तीसरी कविता

कवि और कविता” श्रेणी में कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘बारिश’ शृंखला की तीसरी कविता ‘जो भा गया था‘…

3. बारिश :

जो भा गया थाडॉ. प्रेरणा उबाळे

काजल-से बादल
भाग रहे थे
गीली आँखें उनके पीछे
दौड़ रही थी
पाखों की उड़ान
दिल की छुअन
कश्मकशों में अटखेलिया
खेल रही थी
साँसों का
धड़कनों को
तेज कर देना
भा नहीं रहा था
…..
जो भा गया था
वह बूँदों में खो गया था ।

(रचनाकाल : 16 जुलाई 2025)

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