
Deniel Pearl
पाकिस्तान के भेजे इस्लामिक आतंकियों द्वारा पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को हिन्दु पर्यटकों का धर्म पूछकर नरसंहार किया गया। भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस आतंकी हमले पर बदले की कार्रवाई 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरु कर दी और पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को बमबारी कर ध्वस्त करना शुरु किया। बदले में पाकिस्तान भी जबाव हमले किये।
भारत द्वारा किये गए हमले में कई आतंकी जिन्होंने कांग्रेस पार्टी और यूपीए शासन में देश में जगह-जगह हमले किये, बम ब्लास्ट किये थे उनमें से कुछ मुख्य आतंकियों को मार गिराया। कांधार विमान अपहरण का आतंकी, ट्विन टावर अमेरिका को उड़ाने की साजिश में शामिल आतंकी, मुंबई हमले का आतंकी आदि। ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को भारत की ओर से पाकिस्तान में किए गए एयरस्ट्राइक में बहावलपुर पर हमला भी शामिल था, जहां आतंकी मौलाना मसूद अजहर द्वारा संचालित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है। इसी आतंकवादी संगठन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की थी। डेनियल पर्ल का 2002 में पाकिस्तान में सिर कलम कर दिया गया था।
डेनियल पर्ल के पिता जूडिया पर्ल ने इस घटना की जानकारी पर कहा कि ‘हम भारत के बहुत आभारी हैं। पाकिस्तान अपने यहां आतंकवादी शिविरों को नियंत्रित करने या उनका प्रसार रोकने में असमर्थ और अनिच्छुक दोनों है। इजराइल संभवतः विश्व का एकमात्र देश है जो आतंकवाद की घटना पर कुछ हद तक नियंत्रण रखने में सक्षम रहा है।'(टाइम्स नाउ ग्रुप की एडिटर-इन-चीफ नविका कुमार के साथ बातचीत में जूडिया पर्ल ने कहा कि वह आतंक पर कार्रवाई के लिए “भारत के बहुत आभारी हैं”।)
वाल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण उस समय किया गया था जब वह 2001 में हुए अमेरिका के ट्विन टावर पर हुए हमले की जाँच के लिए डेनियल पर्ल कराची में था। उसकी गर्भवती पत्नी मुम्बई में उसके साथ थी। वर्ष 2002 में डेनियल को इंटरव्यू का लालच देकर आतंकियों ने पकड़ लिया था। डेनियल पर्ल एक अमेरिकन यहुदी था।
जनवरी 2002 में, वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल को पाकिस्तान के एक हवाई अड्डे के बाहर से अगवा कर लिया गया था। अपहरण करने वाला शख्स अहमद उमर सईद शेख था, जिसने पर्ल को कराची में लालच दिया था कि वह कट्टरपंथी इस्लामी मौलवी मौलाना मुबारक अली गिलानी से साक्षात्कार करवा सकता है। अहमद उमर सईद शेख़ लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में शिक्षा हासिल की थी और ब्रिटेन की नागरिकता भी हासिल कर ली थी। शेख वही शख़्स था जिसे तीन ब्रिटिश लोगों के अपहरण के आरोप में 1994 में भारत में गिरफ़्तार किया गया था। वर्ष 1999 में भारतीय विमान का अपहरण कर कंधार ले जाने के बाद मौलाना अज़हर मसूद समेत जिन तीन लोगों को भारत सरकार ने छोड़ा था उस में उमर सईद शेख़ भी था।
अमेरिकी पत्रकार डेनिएल की फिरौती या हत्या की उन आतंकियों की पूरी तैयारी थी। डेनियल के गले में चेन, हाथ में अख़बार दिखाकर अमेरिका से कुछ कैदियों को रिहा करने की माँग की गई। डेनियल की गर्भवती पत्नी गुहार लगाती रही किन्तु 9 दिन बाद कैमरा ऑन करके अहमद उमर सईद शेख और अब्दुल रउफ अज़हर ने डेनियल का सिर काट दिया। सिर काटने से पहले डेनियल से ये शब्द बुलवाए गए थे और इसे रिकॉर्ड कर क़त्ल के वीडियो के साथ दुनिया को भेजा गया था ‘माय फादर इस ज्युइश, माय मदर इस ज्यूइश, आई एम ज्यूइश’।
यह 2002 की बात है, आज 23 साल बाद, 2025 में, ऑपरेशन सिंदूर के हमले में रउफ और अहमद उमर सईद शेख को मार गिराया गया। शेख और रऊफ की मौत यहुदी डेनियल पर्ल की मौत का बदला था और इज़राइली ऑफिशियल्स से धन्यवाद की बाढ़ आ गयी। क्योंकि एक अमेरिकन नागरिक भी अगर ज्यू था तो इज़राइल के लिए उसका अपना था।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के परिणामस्वरूप लगभग एक दर्जन हाई वैल्यू वाले आतंकवादी (HVT) मारे गए हैं। जिसमें अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल है, जो मसूद अजहर का भाई था। रऊफ जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल हेड था और आईसी-814 अपहरण का मास्टरमाइंड था। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में उसका खात्मा महत्वपूर्ण है, खासकर उमर सईद शेख की रिहाई में उसकी भूमिका को देखते हुए, जिसने 2002 में अमेरिकी-यहूदी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी।
आज भारत में शीर्ष नेतृत्व ने पूरी रात S400 लगा के रखे, ज़्यादातर हमले ड्रोन से किये या ऑपरेशन सिन्दूर में भी क्विक इन एंड आउट किया तो इसलिए कि ये सैनिक हमारे अपने हैं। कोई पूछता है कि बॉर्डर पर कोई तुम्हारी फैमिली से भी है क्या ? तो जवाब मिलता है कि पूरी सेना ही अपनी फैमिली है !
कोई भी हमला हो भारत जबावी कार्यवाई करे या आतंकी हमला जैसे पुलवामा हो या उरी सर्जिकल, भारतीय नेतृत्व ने एक भी सैनिक या पायलट हताहत न होने दिया। ऐसे हमले के बाद कैबिनेट इसीलिए लगातार बैठती है कि ये जान सके कि हमारे सैनिकों और जनता की सुरक्षा के क्या इन्तज़ाम है। हम आँख बंद करके गोले चलाने लगें तो 2-4 दिन में पाक आधा साफ हो जायेगा, भारतीय सैनिक हमारे अपने हैं भारत हमारा देश है। अपने सैनिकों को खोने का दुःख हर भारतीय को होता है।
वहीं सब पूछते हैं कि ये कैसा पड़ोसी देश है कि जिसे पता है कि उसकी मदद के लिए कोई नहीं आ रहा, उसे पता है कि उसकी तकनीक और सैन्य ताकत कमज़ोर है, फिर भी वो जंग को क्यों न्योता दे रहा है?
देखिए पाकिस्तान को फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि वे अल्लाह की जंग लड़ रहे हैं। और पाकिस्तान का रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ कहता है कि ‘पाकिस्तान अमेरिका और ब्रिटेन के लिए 30 वर्षों से यह गंदा काम कर रहा है।‘ तो पाकिस्तान के पीठ पर अमेरिका और ब्रिटेन का और अब चीन, तुर्की आदी देशों का भी हाथ है। यानि कि पाकिस्तान के शासकों के लिए पाकिस्तानी जनता बकरी-मुर्गी के समान है। अपने घर बंगले सब लंदन फ्रांस अमेरिका में बना लिए हैं। हर बड़े नेता या अधिकारी का बढ़िया बिजनेस चल रहा है। जिसे देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी देकर क्षत्रिय बनाया है, वही बनियागिरी करके जेब भी भर रहा है। पूरे साल पाक में 50 फ़ियादिन हमले होते हैं पर कभी कोई मजबूत एक्शन नहीं लिया जाता क्योंकि इनका मामला दूसरा है, इसलिए फ़र्क़ नहीं पड़ता है।
ग़ौर कीजिए कि पाकिस्तान इसलिए माँगा गया था कि अपने लोग, एक सोच के कट्टर लोग साथ रह सकें। वहीं भारत में 100 तरह के लोग, 70 किस्म की लड़ाइयाँ पूरे साल लड़ते ही मिलते हैं। इस बार भी लग रहा था कि देश में आंतरिक कलह हो जायेगी पर नहीं, मुसीबत का पहला चिन्ह दिखते ही हम सब एक हो गए। क्या विपक्ष क्या मुसलमान क्या सिख क्या जैन, सब रॉक सॉलिड हो अपने अपने स्तर पर देश के साथ हैं। पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर, इस्लामिक विचारधारा रखते हुए फिदायीन बन जाता है। अलग बात है कि अब पाकिस्तान में कई प्रांत असंतोष के कारण अंदर ही जंग कर रहे हैं और यह निकट भविष्य में पाकिस्तान के टूकड़े हो सकते हैं। गौरतलब बात यह है कि पाकिस्तान से अलग हुए टुकड़े कहीं अमेरिका, ब्रिटेन या चीन के वर्चस्व का क्षेत्र न बना हुआ निकले!
यह ऑपरेशन सिंदूर हमारे देश के लिए भी एक सबक है। भारत में जो भी इस्लामिक कट्टर सोच रखकर एक दूसरे को मिटा देने का ख़्वाब देखते हैं, उन्हें पहले हमारे पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश का हाल देखना चाहिए कि कट्टरता ने उनका कैसा बेड़ा गर्क किया हुआ है। क्योंकि रक्षा हो या शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर हो या विदेश से रिश्ते बनाने का चक्कर, ये सब कट्टर मानसिकता से नहीं, जियो और जीने दो वाली सोच से मिलता है। एक दूसरे की सोच की इज़्ज़त करने से मिलता है, लाख लड़ाइयों के बाद भी अपने देश के हर एक नागरिक को अपना समझने से मिलता है। क्योंकि हम पहले भारतीय हैं, हमारे नसों में इस मिट्टी का गौरव है हमारा DNA भारतीय है।
यही कारण है कि इन इस्लामिक आतंकियों की कभी USA में दुबारा हमला करने की हिम्मत नहीं हुई। यही कारण है कि 7 तरफ से घिरा इज़राइल अपने हर दुश्मन पर भारी पड़ता है। यही कारण है कि भारत के मुँहतोड़ जवाब के बाद भी कोई तीसरा बीच में कूदने की कोशिश नहीं कर रहा है।
आखिर डेनियल पर्ल की पत्नी को शेख, अब्दुल रऊफ अजहर व अन्य आतंकियों की मौत पर सुकून जरूर मिला होगा ! (चित्र साभार गूगल)