नीदरलैंड एक उदार और समृद्ध देश, जहां सबकी हैसियत बराबर है और 70 % आबादी अधार्मिक : वीरेंद्र परमार

नीदरलैंड एक उदार और समृद्ध देश, जहां सबकी हैसियत बराबर है और 70 % आबादी अधार्मिक : वीरेंद्र परमार

अभी मैं यूरोप की यात्रा पर हूँ, खासकर नीदरलैंड की। इस देश की भौगिलोक सुंदरता, नागरिक चेतन और प्रशासकीय व्यवस्था का जो अध्ययन इतने थोड़े दिनों के प्रवास में समझा और महसूस किया है वह अद्भुत है।

नीदरलैंड एक उदार और समृद्ध देश हैI ईमानदारी, सच्चाई और बेबाकी डच समाज के डीएनए में है। यहाँ के लोगों घुमाफिराकर बात करना पसंद नहीं करते हैं। जो मन में है वह मुँह पर बोल देते हैं। डच लोग सच्चाई पर शब्दों का मुलम्मा नहीं चढ़ाते हैं, जो बात उन्हें पसंद नहीं उसके बारे में सीधा बोल देते हैं। वे इसकी बिल्कुल चिंता नहीं करते कि जिसे वे बोल रहे हैं वह कौन है एवं उसकी हैसियत क्या है।

नीदरलैंड में मंत्री हो या संतरी, किसी कंपनी का मालिक हो या कम्पनी का छोटा कर्मचारी, सामाजिक रूप से सबकी हैसियत बराबर है। यहाँ कोई भी पद या स्तर विशिष्ट नहीं है। इसलिए किसी भी पद या स्तर का व्यक्ति हो उसके मुँह पर सच बोल देते हैं।

सच्चाई और सपाटबयानी डच समाज की विशिष्टता है जो दूसरे अन्य समाजों से इन्हें अलग करती है। यह बात किसी अन्य समाज के व्यक्ति को अशिष्ट लग सकती है, लेकिन सही बातों पर झूठ का आवरण देकर प्रस्तुत करना डच लोगों का स्वभाव नहीं है। नीदरलैंड के लोग सहिष्णुता, समानता और एकता जैसे नैतिक मूल्यों का सही अर्थों में अनुसरण करते हैंI डच समाज कठोर परिश्रम और सामाजिकता पर जोर देता है।

नीदरलैंड के संविधान में भी रंग, जाति, क्षेत्र के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना प्रतिबंधित है तथा लोगों को अपने-अपने धर्म का पालन करने एवं अभिव्यक्ति की आज़ादी है। नीदरलैंड के 70 प्रतिशत से अधिक लोग अधार्मिक हैं अर्थात वे किसी धर्म को नहीं मानते हैं। डच लोग अपने सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पालन धर्म की तरह करते हैं। यहाँ हर व्यक्ति के निजता के अधिकार को सुनिश्चित किया जाता है। यहाँ सभी व्यक्ति अपनी-अपनी स्वतंत्रता का पूरा उपभोग करते हैं।

यहाँ कोई व्यक्ति हॉर्न नहीं बजाता, ध्वनि विस्तारक यंत्र (लाउडस्पीकर) का प्रयोग नहीं करता और सड़कों पर खड़े होकर गप्प नहीं करता। डच समाज अपने धन-वैभव का प्रदर्शन करना पसंद नहीं करता है। नीदरलैंड में अपराध लगभग शून्य है। यह एक समतावादी समाज है और सभी नागरिकों को समान अधिकार व अवसर प्राप्त है।

यदि कहा जाए कि नीदरलैंड में मकान कारखानों में बनते हैं तो अनेक लोगों को आश्चर्य होगा, लेकिन यह बात सच है। यहाँ मकान के पुर्जे कारखाने में बनाए जाते हैं और साइट पर उन्हें जोड़ दिया जाता है। मकान की दीवार, छत, फर्श और यहाँ तक कि पूरा बाथरूम कारखाने में बनाए जाते हैं और साइट पर उन्हें जोड़कर भवन तैयार कर दिया जाता है। इन पूर्वनिर्मित (Prefabricated) तत्वों को ट्रकों द्वारा कारखाने से साइट पर लाया जाता है एवं उनको जोड़ दिया जाता है जैसे किसी मशीन के पार्ट-पुर्जे जोड़े जाते हैं। यहाँ पूर्वनिर्मित निर्माण आवास की कमी और निर्माण संबंधी चुनौतियों के कारण लोकप्रिय हो रहा है। इस विधि से बेहतर गुणवत्ता, कम अपशिष्ट और अधिक टिकाऊपन जैसे लाभ प्राप्त होते हैं। पारंपरिक विधि की अपेक्षा पूर्वनिर्मित विधि से भवन निर्माण में समय कम लगता है एवं निर्माण प्रक्रिया पर ध्यान देना आसान होता है। इस विधि में त्रुटि की सम्भावना बहुत कम होती है और भवन निर्माण में खर्च कम लगता है। इस विधि में तय मानकों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जा सकता है। इस विधि द्वारा निर्मित मकान अधिक हलके और मजबूत होते हैं।

नीदरलैंड में बच्चों को राष्ट्रीय संपदा माना जाता है और प्रति माह बच्चे के लालन-पालन के लिए उसके माता-पिता को कुछ धन दिया जाता है ताकि वे अपने बच्चों का पोषण ठीक से कर सकें। नीदरलैंड में बच्चों के कौशल विकास पर अधिक बल दिया जाता है। उन्हें जीवन जीने की कला सिखायी जाती है ताकि वे बड़े होकर आत्मनिर्भर बनें और एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकें। यहाँ बच्चों के कंधों पर किताबों का भारी बोझ डालकर उन्हें गधा नहीं बनाया जाता, बल्कि उनके बहुमुखी विकास पर बल दिया जाता है। नीदरलैंड की भूमि समुद्र तल से नीचे है और यहाँ नदियों, झीलों, नहरों और अन्य कृत्रिम जलस्रोतों की अधिकता है। अतः आत्मरक्षा के लिए सभी बच्चों को तैरना और नाव चलाना सिखाया जाता है। प्रायः यहाँ हर घर में लकड़ी अथवा प्लास्टिक की नावें मौजूद हैं। यहाँ तरह-तरह की नावें मिलती हैं जिसे घर के सभी सदस्य चलाते हैं। अनेक आकार-प्रकार की रंग-बिरंगी प्लास्टिक की नावों में हवा भरकर चलाया जाता है और बाद में उसकी हवा निकालकर लोग उसे अपने कंधे पर रखकर घर ले आते हैं।

सभी बच्चों को अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना, माता-पिता के काम में सहयोग करना, घर के कामकाज करना, कोट-टाई पहनना सिखाया जाता है। यहाँ घुडसवारी सिखाने के लिए अनेक बड़े-बड़े प्रशिक्षण केंद्र बने हुए हैं जहां लोग अपने बच्चों को घुड़सवारी सीखने के लिए भेजते हैं। छह वर्ष की उम्र तक बच्चों पर पुस्तकों का न्यूनतम बोझ डाला जाता है। यहाँ सभी के लिए समान शिक्षा प्रणाली है।

प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा तक माध्यम भाषा डच है। डच जर्मन भाषा परिवार की एक भाषा है। डच भाषा से जर्मन भाषा और अंग्रेजी भाषा की बहुत समानता है। नीदरलैंड के अधिकांश नागरिक डच के साथ-साथ जर्मन और अंग्रेजी भाषा भी जानते हैं, लेकिन यहाँ शासन-प्रशासन और लोक व्यवहार की एकमात्र भाषा डच है। यहाँ जीवन के सभी क्षेत्रों में शत-प्रतिशत डच भाषा का प्रयोग किया जाता है। सड़कों और गलियों के नाम, डिब्बाबंद वस्तुओं के नाम, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के नाम आदि डच भाषा में लिखे जाते हैं, लेकिन जो डच भाषा नहीं जानते वे अपना कामकाज अंग्रेजी में कर सकते हैं। नीदरलैंड की नागरिकता प्राप्त करने की अनेक शर्तों में से एक प्रमुख शर्त डच भाषा की परीक्षा पास करना भी है। यहाँ भाषा, रंग, देश और क्षेत्र के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। सचमुच में यह एक लोकतांत्रिक देश है।

यहाँ सभी को सामजिक सुरक्षा प्राप्त है। नीदरलैंड में महिलाओं की संख्या पुरुषों से लगभग एक प्रतिशत अधिक है। अनेक क्षेत्रों में महिलाओं का एकाधिकार है। यहाँ महिलाएँ सशक्त, जागरूक और सक्षम हैं। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति का महत्व है और सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। डच समाज अति भोगवाद से दूर है। लोग अपने परिवार और प्रकृति के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं। लोग अपने निजी मामले को दूसरों के साथ कभी साझा नहीं करते हैं चाहे वह घनिष्ठ मित्र ही क्यों न हो। डच लोग अपने जीवन को बिल्कुल निजी रखते हैं। यहाँ के लोग न तो किसी के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करते हैं, न ही दूसरों को हस्तक्षेप करने देते हैं। वीरेंद्र परमार

  • वीरेंद्र परमार

    स्वतंत्र लेखन, पूर्वोत्तर भारत के समाज, लोकजीवन, संस्कृति, लोकपरंपरा और आदिवासी समुदाय पर विपुल लेखन ...

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