माणिक सीताराम गोघाटे "ग्रेस"

“कवि और कविता” श्रृंखला में मराठी के विख्यात कवि ‘ग्रेस’ (माणिक सीताराम गोघाटे “ग्रेस”) को उनके पुण्य तिथि (26 मार्च 2012) पर डॉ. प्रेरणा उबाळे ने उनकी मराठी कविता “घडवीन असे मी वृत्त …” का हिन्दी अनुवाद कर उन्हें याद किया और श्रद्धांजली अर्पित की।

कवि  ग्रेस –

घडवीन असे मी वृत्त
प्राणांच्या अलगद खाली
अन करीन पाऊस इथला
शब्दांच्या पूर्ण हवाली.

मावळत्या सूर्यफुलांचा
तू गळ्यात घेशील हार
खडकावर पडते जैसी
अज्ञात जलाची धार ।

(कवि ग्रेस की स्मृति को अभिवादन करते हुए डॉ. प्रेरणा उबाळे जी ने उनकी एक कविता का हिन्दी में अनुवाद किया है ‘बाँध दूँ ऐसा छंद …)

कवि  ग्रेस –

बाँध दूँ ऐसा छंद
प्राणों के निकट कोमलता से
कर दूँगा बारिश यहाँ की
शब्दों को पूरी अर्पित l

डूबते सूरजमुखी की
तुम डाल दोगी गले में माला
पत्थर पर गिरती मानो
अज्ञात जल की धारा l (26 मार्च 2025)

(ग्रेस के नाम से जाने जानेवाले कवि का पूरा नाम माणिक सीताराम गोघाटे “ग्रेस” है। ग्रेस मराठी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह “वार्‍याने हलते रान” (वन पवन के साथ झूलता है) के लिए उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे मराठी गीत “भय इथले संपत नाही” के गीतकार के रूप में लोकप्रिय हुए, जिसे लता मंगेशकर ने टीवी धारावाहिक महाश्वेता के शीर्षक ट्रैक के रूप में गाया था।)

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