“कवि और कविता” श्रृंखला में आज 21 मार्च ‘कविता दिवस’ पर डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “कविता और कविता प्रेमी …

“कवि और कविता” श्रृंखला में आज 21 मार्च ‘कविता दिवस’ पर डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “कविता और कविता प्रेमी …

“कवि और कविता” श्रृंखला में 21 मार्च ‘कविता दिवस’ पर डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “कविता और कविता प्रेमी …”

■ कविता और कविता प्रेमी – डॉ. प्रेरणा उबाळे

कविता की देखकर अनुपम सुंदर छवि
उसके प्रेम में डूब गए कुछ प्रेमी कवि ।

जब ये प्रेमी बनने लगे कवि
और बताने लगे जो न बताए रवि ।

सच्चे कवि के पास आते हैं शब्द चलकर
ये प्रेमी भी लिख रहे हैं शब्द ढूंढकर ।

कभी वैचारिक सोचे तो, बन जाए व्यंग्य
और व्यंग्य लिखे तो, छिड़ जाए जंग ।

इन कविता प्रेमियों की जैसी आई हैं बाढ़
उनके साथ अनेकों भावनाओं की भी बाढ़ ।

कविता प्रेमियों के बारे में क्या कहना
हर बार कविता को देते नया गहना ।

कविता के प्रेम में कवि खुद पागल हुए
कवियों के साथ श्रोता भी दीवाने हुए।

कविता बनती है लालित्य से सरुपम
उससे नहीं है दूजा कोई अनुपम ।

इसीलिए तो हम उसके प्रेम में बहते हैं
इतना ही नहीं सारे जहाँ को भूला देते हैं ।

कविता है, प्रेमी के हृदय की अंतस्थ की अनुगूंज
तोहफे में मिलती हैं लाखों तालियों की गूँज l

महबूबा के तोहफे से प्रेम अधिक बढ़ता है
और प्रेमी फिर कविता के प्रेम में डूब जाते हैं l डॉ. प्रेरणा उबाळे (रचनाकाल – 10 जनवरी 2006)

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