‘बारिश’ शृंखला में कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की छट्ठी कविता “प्रतिबद्ध”

‘बारिश’ शृंखला में कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की छट्ठी कविता “प्रतिबद्ध”

कवि और कविता” के बारिश श्रृंखला में कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की छट्ठी कविता ‘प्रतिबद्ध’…

6. बारिश :

प्रतिबद्धडॉ. प्रेरणा उबाळे

बारिश की बूँदों को आँखें पी गई
होठों पर चमकीली मुस्कान छाई रही

मन के समन्दर को रुंधकर रोक लिया
साया तब गीत खुशी का गाता रहा

छुअन को काग़ज़ की कश्ती बहा ले गई
मुट्ठी की इबादत तब भी बनी रही

टूटन को मांझी की पतवार काट गई
काजल की गहरी आँखें महकती रही

राह से गुजरते अश्कों की बारिश जारी रही
हाथों मे फूलों का बिछना भी छूटा नहीं

कदमों से कदम मिले या ना मिले
दिल से दिल जुड़ना तकदीर के हिस्से रहे

उँगलियों का नाचना बेसब्र चलता रहा
एक अंजली तेरी एक मेरी हाथ कहता रहा

दोनों अंजुलियाँ मिल जाती संबध्द
अर्पित हो जिंदगीभर रहती प्रतिबद्ध l

(रचनाकाल : 25 अगस्त 2025)

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