
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा: EU परिषद की अध्यक्षता से पहले और क्रोएशिया के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने की रणनीति : डॉ मंजु डागर (मनु चौधरी)
Dr. Manju Dagar (Manu Chaudhary), Member FII, Executive Editor (International Affairs), Corporate INSIGHT Magazine, Senior Advisor in the Research Institute for European and American Studies
एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन के रास्ते में साइप्रस का दौरा करेंगे। यह केवल तीसरी बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस भूमध्यसागरीय देश का दौरा किया है। इस दुर्लभ ठहराव के बाद प्रधानमंत्री की वापसी यात्रा में क्रोएशिया का दौरा भी शामिल है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि भारत यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और सशक्त बनाने की दिशा में गंभीर है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा सामरिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है, क्योंकि साइप्रस जल्द ही यूरोपीय संघ (EU) परिषद की अध्यक्षता संभालने जा रहा है। यह दौरा न केवल इस विश्वसनीय भूमध्यसागरीय साझेदार के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि यह भारत की यूरोपीय संघ के साथ व्यापक कूटनीतिक रणनीति से भी जुड़ा हुआ है।
साइप्रस ने हमेशा वैश्विक मंचों पर भारत का समर्थन किया है, और अब जब वह EU परिषद का नेतृत्व करने जा रहा है, तो उसे यूरोपीय नीतियों को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका मिलेगी। भारत के लिए यह यात्रा साइप्रस को एक महत्वपूर्ण साझेदार और मध्यस्थ के रूप में सशक्त करने का अवसर है — विशेषकर भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) जैसे लंबित मुद्दों पर।
FTA पर वर्षों से बातचीत जारी है, और नई दिल्ली को उम्मीद है कि साइप्रस के साथ बढ़ा हुआ सहयोग यूरोपीय संघ के भीतर सहमति बनाने की दिशा में एक पुल का कार्य कर सकता है। यह यात्रा आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को गहरा करने के साथ-साथ भारत की यूरोपीय संघ के साथ व्यापक साझेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करेगी।
बदलते वैश्विक हालात और लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता के संदर्भ में यह दौरा यूरोप में भारत की सक्रिय कूटनीति और व्यापार, निवेश व रणनीतिक सहयोग के विस्तार की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब तुर्किए और पाकिस्तान के बीच एकजुटता बढ़ रही है — विशेष रूप से भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद, जो आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक कार्रवाई थी। यह अभियान भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया विवाद बना और तुर्किए ने पाकिस्तान का समर्थन किया। ऐसे में साइप्रस का आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को समर्थन देना और उसका EU की नीतियों के अनुरूप होना तुर्किए-पाकिस्तान गठजोड़ के विरुद्ध एक रणनीतिक संतुलन प्रदान करता है।
वापसी यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी क्रोएशिया का दौरा भी करेंगे, जो भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (India–Middle East–Europe Economic Corridor – IMEC) का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। यह परियोजना भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच संपर्क को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार की गई है। क्रोएशिया की रणनीतिक स्थिति इसे इस गलियारे में एक आवश्यक कड़ी बनाती है, जो व्यापार को सरल बनाती है और भारत-यूरोप संबंधों को नई गहराई देती है।
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया की यह पहल भारत की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यूरोप के साथ कूटनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूती देना है। यह रणनीति न केवल क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करती है, बल्कि भारत को वैश्विक आर्थिक और सुरक्षा मामलों में एक अग्रणी भूमिका में स्थापित करती है। ऐसे देशों के साथ संवाद और सहयोग के ज़रिए जो भारत के मूल्यों और हितों को साझा करते हैं, प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसा गठबंधन बनाना चाहते हैं जो वैश्विक मंच पर भारत के उद्देश्यों को समर्थन दे।
अंततः, प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस और क्रोएशिया की यात्राएं भारत की विकसित होती विदेश नीति का प्रतीक हैं, जो रणनीतिक साझेदारी, क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता देती हैं। ये कूटनीतिक कदम भारत की यूरोप में प्रभावशाली भूमिका को और मजबूत करेंगे तथा एक स्थायी, समृद्ध और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाएंगे।– Dr. Manju Dagar (Manu Chaudhary)