“Protect your civilization, arrest and deport those radical Islamists”- Amjad Taha’s statement and Indian scenario: Arun Pradhan

“Protect your civilization, arrest and deport those radical Islamists”- Amjad Taha’s statement and Indian scenario: Arun Pradhan

अमजद तहा Amjad Tahaa ने हाल ही में एक न्यूज़ ग्रुप VISEGRAD24 को एक साक्षात्कार दिया है और एशिया, यूरोप, अमेरिका आदि देशों में रेडिकल इस्लाम के wokeism आंदोलनों के बारे में स्पष्ट विचार रखे हैं। अमजद तहा ब्रिटिश अरब पत्रकार हैं और पत्रकारिता, मीडिया और सांस्कृतिक अध्ययन की डिग्री, बीए (ऑनर्स) मिडिलसेक्स विश्वविद्यालय, लंदन, यूके से प्राप्त की। मध्य पूर्व के मामलों पर विशेषज्ञता के साथ तहा एक पत्रकार और लेखक भी हैं। अमजद ताहा ALARABIYA.NET जैसे विभिन्न वेबपेजों के लिए लिखते हैं और उन्होंने जापान टाइम्स और सीएनएन जैसे सभी अरब समाचार पत्रों और विदेशी आउटलेट्स के साथ कई साक्षात्कार किए हैं। अमजद तहा की प्रसिद्ध पुस्तक है- अरब स्प्रिंग का धोखा The Deception of the Arab Spring.

यूरोप में ‘रेडिकल इस्लाम’ और उसका ‘wokeism’ आन्दोलन इन दिनों बहुत उभार पर है और आये दिन मुख्यतौर से सीरियाई शरणार्थियों, यूरोपियन कनवर्टेड मुस्लिम्स और अप्रवासी मुसलमानों द्वारा किये जा रहे सांस्कृतिक अतिक्रमण, दंगे, रेप और हत्याओं के सवाल पर अमजद ताहा ने कहा कि ” रेडिकल इस्लाम से आप अपनी सभ्यता-संस्कृति की रक्षा करें। उन कट्टरपंथी इस्लामवादियों को गिरफ्तार करें और निर्वासित करें। यूरोपियाई देशों को अपनी संस्कृति-सभ्यता, अर्थव्यवस्था और शांति को बनाये रखने के लिए उन्हें प्रतिबंधित करें, संयुक्त अरब अमीरात की तरह। यूरोपीय और एशियाई कनवर्टेड मुस्लमान आप हम अरब से अधिक मुस्लिम नहीं हो सकते। मुस्लिम ब्रदरहुड ने आपके विश्वविद्यालयों को यहूदियों को लक्षित करने वाले युद्ध के मैदानों में बदल दिया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी आज हमास और हिजबुल्लाह के लिए सहानुभूति रखने वालों का एक केंद्र बन रहा है”।

अमजद ताहा ने कहा कि “आप अपनी सभ्यता की रक्षा करो ! कट्टरपंथी इस्लामवादियों को गिरफ़्तार करो और देश से बाहर निकालो ! उन्हें बैन करो, जैसे संयुक्त अरब अमीरात ने किया है। उन्हें मैं कहना चाहता हूँ कि तुम हमसे ज़्यादा मुस्लिम नहीं हो सकते ! मुस्लिम ब्रदरहुड ने दुनिया भर के यूनिवर्सिटीज़ को युद्धभूमि बना दिया है वे यहूदी छात्रों को निशाना बना रहे हैं। हार्वर्ड जैसा यूनिवर्सिटी अब हमास-हेज़बोल्ला समर्थकों का अड्डा बनता जा रहा है। इन कट्टरपंथियों को रोकना चाहिए, उन्हें गिरफ्तार करें और शैक्षिक संस्थानों को ज्ञान के मंदिरों के रूप में पुनः बहाल करें, नफरत नहीं। आइए, अब दुनिया को अपने मूल्यों की जमकर रक्षा करनी चाहिए। दुनिया को याद दिलाएं कि स्वतंत्रता और शांति की भूमि में जहरीले विचारधाराओं के लिए कोई जगह नहीं है।

“भारतीय मानस में अमजद तहा के विचारों से सहमती और समर्थन बहुसंख्यंक हैं क्योंकि भारत में भी दुनिया के साथ साथ रेडिकल इस्लाम और इस्लामिक आतंकवाद का उभार तेज हुआ है। देश में अभी की विपक्षी पार्टियों में ज्यादातर पार्टियाँ जो INDI गठबंधन (INDI Alliance) का हिस्सा है – कांग्रेस पार्टी, RJD, समाजवादी पार्टी, DMK, वामपंथी पार्टियाँ आदि जो कथित समाजवादी और कम्युनिस्ट विचार वाले हैं, सभी मुस्लिम वोट बैंक के कारण इस रेडिकल इस्लाम के भारत पर खतरे को जानबूझकर बढ़ावा दे रही है और समर्थन कर रही है। इसमें बड़ी संख्या भारत में छुपकर बसे हुए पाकिस्तानी, बंगलादेशी और रोहिंग्या मुस्लमान सक्रिय तत्व हैं। भारत में हिन्दू धार्मिक कार्यक्रमों पर पत्थरबाजी और हमले लगातार हो रहे हैं। इस्लाम के नाम पर हिन्दू आबादी का क़त्ल किया जा रहा है, सर तन से जुदा के नारे पर मुस्लिम युवा हाथ में असलाह ले कर नाच रहे हैं ! पश्चिम बंगाल व् अन्य राज्य इसके स्पष्ट उदहारण हैं।

भारत का आमजन यह कह रहा है कि भारतीय मूल्यों, लोकतंत्र, स्वतंत्रता को बचाने और राष्ट्र के मानस की एकजुटता के लिए जरुरी है कि भारत में भी रेडिकल इस्लाम पर और इसके समर्थकों को रोका जाय। भारत सरकार के लिए भी देशभक्ति का अर्थ होना चाहिए कि राष्ट्रविरोधी तत्वों और रेडिकल इस्लाम और इसके समर्थकों पर कार्रवाई करे। भारत की जनता और गैर-मुस्लिम जनता को कटने के लिए नहीं छोड़ सकते ! यह भी सत्य है कि भारत में इस्लामिक आतंकवाद हो या रेडिकल इस्लाम का wokeism आन्दोलन या कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों के हमले में भारतीय मुसलमानों की भी हत्याएं हुई हैं। ‘ऑपरेशन सिन्दूर‘ के बाद बनी ऑल पार्टी डेलिगेट के सदस्य गुलाम नवी आजाद ने बहरीन में कहा कि “सिर्फ कुछ वर्षों में ही कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकी हमले में 14 हज़ार से ज्यादा कश्मीरी मुस्लमान मारे गए हैं”। भारत सहित पाकिस्तान और बांग्लादेश wokeism और रेडिकल इस्लाम का गढ़ बना हुआ है।

अमजद तहा का यह बयान कि “आप हमसे अधिक मुस्लिम नहीं हो सकते“, यह उन सभी के लिए वास्तविकता की जांच का पैमाना है जो धर्मनिरपेक्षता या धार्मिक तुष्टिकरण की आड़ में कट्टरपंथी इस्लामवादियों का समर्थन करते हैं। यह समस्या न केवल यूरोप और अमेरिका में बल्कि भारत में भी काफी हद तक व्यापक हो चुकी है !

एंजेला मर्केल Angela Dorothea Merkel न केवल जर्मनी बल्कि पूरी दुनिया के सबसे बड़े खलनायकों में से एक मानी जा रही हैं। यूरोप और अमेरिका एंजेला मर्केल के wokeism के समर्थन की भारी कीमत चुका रही है। मर्केल 2005 में जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं और वह अपना चौथा कार्यकाल पूरा कर रही हैं। उनके नेतृत्व की विशेषता यह है, जिसमें डोनाल्ड ट्रम्प के विरुद्ध खड़े होने से लेकर दस लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थियों को जर्मनी में प्रवेश की अनुमति देना शामिल है।फिलहाल, वह मतदाताओं के बीच अलोकप्रिय गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही हैं तथा यूरोप में बढ़ती आप्रवासी विरोधी भावना का सामना कर रही हैं। एंजेला मर्केल ने मुस्लिम प्रवासियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोल दिए, दूसरों को भी ऐसा करने के लिए मजबूर किया और अब यह सभी जर्मन नागरिक समाजों के लिए खतरा बन गया है।

अमजद ताहा कट्टरपंथी इस्लामवादियों की गिरफ्तारी और निर्वासन की बात कर रहा है, संयुक्त अरब अमीरात की तरह ही प्रतिबंध की वकालत कर रहा है, और हमास और हिजबुल्लाह के सहानुभूति रखने वालों को कथित रूप से शरण देने के लिए हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालयों की आलोचना भी करता है। यदि संयुक्त अरब अमीरात रेडिकल इस्लाम के विरोध में एक क्रन्तिकारी कार्यवाई कर सकता है, तो इन तथाकथित बौद्धिक केंद्रों को ऐसा करने से कौन रोक रहा है ?

wokeism वोक असल में रेडिकल इस्लाम के समर्थक मुस्लिमों का एक पाखंड है, इस “खास तरह की जागृति” के पीछे इस्लामिक चरमपंथ को कवर देना है, उसे दुनिया में शोषित का दिखावा, अल्पसंख्यक होने का दिखावा कर आमजन में प्रवेश पाना और समर्थन हासिल करना है। अमजद ताहा का कथन -Woke का अर्थ नई जागृति से है न कि कट्टरपंथ में लोगों को लपेटना और दुनिया को नष्ट करना ! विश्वविद्यालयों को सीखने के स्थान होने चाहिए न कि चरमपंथ के लिए प्रजनन स्थल। अमजद तहा ने कहा कि दुनियाभर के लिए यह कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ एक स्टैंड लेने और परिसरों की रक्षा करने का समय है। अरुण प्रधान

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