
सोनम वांगचुक लद्दाख की जनता की अभी एकमात्र आवाज हैं। जो पिछले कुछ वर्षों में अपनी साख अर्जित किया है अपने अहिंसात्मक संघर्षों से। लद्दाख के मुश्किल हालात में वहां के लोगों और बच्चों में अपने वैज्ञानिक प्रयोग और शिक्षा के प्रचार-प्रसार को आसान माध्यम से विकास कर जागरूक करने का कार्य सोनम वांगचुक ने किया।
वे लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को मुखर किया जो लद्दाख की जनता के लद्दाख ऑटोनोमस कौन्सिल की भी मांग थी। लेकिन केंद्र सरकार जानबूझकर कर देरी कर रही है अब तक, यह देरी किस लिए है नहीं बता रही है। केंद्र सरकार को चाहिए की इस पर खुलकर बात करे। क्योंकि, अगर सीमा संबंधी कोई सुरक्षा कारण नहीं है तो लद्दाखी जनता की यह दोनों मांग उचित हैं। तीसरा मांग है लद्दाखी जनजातीय समूहों के अधिकारों को लेकर। यह भी उचित मांग है क्योंकि कश्मीर के बाद लद्दाख एक बौद्ध पहचान के क्षेत्र में गैर-बौद्ध आबादी (46%) का दखल और आबादी भी आक्रामक तरीके से बढ़ रही है और लद्दाख तथा लद्दाखी जनता के आथिर्क स्रोतों पर कब्जा कर रहा है। इसलिए एक तरह का प्रतिबंध और रोक जरूरी हो गया है।
सोनम वांगचुक जनता की आवाज बनकर लद्दाख की जनता की मांगों को अहिंसात्मक मुखरता दी है। लेकिन बांग्लादेश के इस्लामिक और नेपाल में हुए जेन-जेड के अराजक ऊभार का प्रभाव और उसकी चर्चा लगातार अपने भाषणों तथा संबोधनों में उन्होंने किया।
सोनम वांगचुक के इस आह्वान पर लद्दाख लेह में 24 सितंबर 2025 के प्रदर्शन में वह प्रेत प्रकट हो गया और स्वभावत: तांडव कर बैठा, जिसका आह्वान कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार कर रहे हैं देश में आग लगाने के संदर्भ में और लद्दाख में आग लगाने में कांग्रेस काउन्सलर नेतृत्व कर रहा था। सोनम वांगचुक इस जेन-जेड की प्रकृति को या तो समझते नहीं हैं या उत्साहित रहे। जैसा कि भारत का हर कथित प्रगतिशील, वामपंथी, समाजवादी आदि हो रहें जो खुद तो कुछ कर नहीं पा रहे हैं किन्तु बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरवादी ऊभार में क्रांतिकारिता देखने के कलरब्लाइंडनेश से बिमार हैं या नेपाल के जेन-जेड की अराजक ऊभार में अपने गर्भधारण का स्वप्न देख रहे हैं।
सोनम वांगचुक का लद्दाखी जनता के अहिंसक जनप्रिय नेता के तौर पर लद्दाखी जनता की खुशहाली की मांग को समर्थन मिल रहा है और शायद केंद्र सरकार भी सहमत होगी ही, लद्दाख और लद्दाखी लोगों के विकास और खुशहाली के लिए। लेकिन सोनम वांगचुक के सामाजिक कार्य के पृष्ठभाग में कुछ चीजें जिसे भारत विरोधी सक्रियता के तौर पर चिह्नित हुई है।
सोनम वांगचुक के पिता, सोनम वांग्याल ने जब लद्दाख के लोगों के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग उठाई थी, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद लेह पहुँचीं। उन्होंने उनकी बात सुनी और व्यक्तिगत रूप से एक गिलास जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया था।
सोनम वांगचुक के पिता सोनम वांग्याल श्रीनगर से कांग्रेस सांसद थे। विशेष बात यह है कि यह बात जानबूझकर सभी से छिपाई गई है। वे इटली गए थे, कहा जाता है कि यह एक षडयंत्र के तहत प्रायोजित यात्रा थी। वहाँ उन्होंने तिब्बत के निर्वासित प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। क्या इस यात्रा का मंतव्य यह जताने के लिए था कि लद्दाख तिब्बत का हिस्सा है ? सोनम वांगचुक को भी मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार अमेरिकी कुबेर सिर्फ उन्हें ही अनुशंसित करता है, जो अमेरिकी हितों को साधने पर सहमत हो। 7 महीने पहले सोनम वांगचुक ने पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में आमंत्रित थे।
नेपाल में जेन-जेड के विरोध के बाद अचानक कांग्रेस में एक नई स्फूर्ति आई और वह भारत में कुछ करना चाहती है। सोनम वांगचुक की पत्नी अमेरिकी है। शादी के 35 साल बाद भी उसने भारत की नागरिकता स्वीकार नहीं किया है।
भारतीय फिल्मकार आमिर खान ने सोनम वांगचुक की आर्थिक अनियमितताओं का जब महिमामंडन किया था, तभी प्रवर्तन निदेशालय ED समेत सूचना ब्यूरो (IB) के अधिकारी चौकन्ने हो गये थे। तब केंद्र सरकार की नीतियाँ उनके द्वारा आवश्यक कार्रवाई शुरू करने के लिए प्रतिकूल था।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख HIAL इकाई द्वारा प्राप्त दान योगदान वर्ष 2023-24 के दौरान 6 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2024-25 के दौरान 15 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। एचआईएएल के 7 बैंक खाते हैं, जिनमें से 4 खाते को उनके द्वारा घोषित नहीं किया गया है। इसके अलावा, उन्हें कथित तौर पर एफसीआरए पंजीकरण के बिना 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का भारी विदेशी धन प्राप्त हुआ है। एचआईएएल से 6.5 करोड़ रुपये की भारी राशि शेशों इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई है।लद्दाख के छात्र शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध एसईसीएमओएल द्वारा प्राप्त एकत्रित धनराशि 9 बैंक खाते हैं जिनमें से 6 अघोषित हैं। शेषियों इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड (ऊपर उल्लिखित) निर्धारण वर्ष 2024-25 के दौरान 9.85 करोड़ रुपये के कारोबार पर इकाई द्वारा प्रस्तावित शुद्ध लाभ केवल 1.14 प्रतिशत है, जो वर्ष 2023-24 के शुद्ध लाभ की तुलना में महत्वपूर्ण कमी दर्शाता है, जो 6.13 प्रतिशत था।
मनी लॉन्ड्रिंग कहां हुई है? ईडी इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त जुटा रही है। इस कंपनी के 3 खाते हैं जिनमें से 2 घोषित नहीं हैं। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख से उनकी निजी फर्म मैसर्स शेषियों इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को धन का बड़े पैमाने पर हस्तांतरण किया गया है। सोनम वांगचुक के 9 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं, जिनमें से 8 घोषित नहीं हैं। इसके अलावा, उनके कुछ बैंक खातों में भारी मात्रा में विदेशी धन आये हैं। सोनम वांगचुक ने 2021 से 2024 तक विदेश में कुल ₹ 2.3 करोड़ भेजे हैं।
देश में अब यह चर्चा आम हो चली है कि दरअसल अब कांग्रेस कोई राजनैतिक पार्टी नहीं रही, वह अब भारत विरोधी देशों, संगठनों, हिंदू द्रोही विदेशी षड्यंत्रों की स्लीपर सेल बनकर रह गई है। जिसे अब सबूतों के साथ लोग देख रहे हैं और राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी इसे साबित कर रही है।
वैसे आज की भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को सोनम वांगचुक और उनके एनजीओ पर कार्रवाई का एक आधार पिछले कांग्रेस शासन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा लगाया गया बैन है। सोनम वांगचुक तथा 1988 में स्थापित उनके ngo SECMOL को वर्ष 2007 में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने भ्रष्टाचार सहित चीन के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधि का गंभीर आरोप लगाकर बैन किया था। – अरुण प्रधान