
“कवि और कविता” श्रेणी में कवयित्री डॉ. प्रेरणा उबाळे की ‘बारिश’ शृंखला की चौथी कविता “तुम संग प्रीत निभाई दिन-रैन”…
4. बारिश
■ तुम संग प्रीत निभाई दिन-रैन – डॉ. प्रेरणा उबाळे
झूम-झूम बरसता सावन
घिर रहे बदरवा मनभावन
पत्तियाँ डाले हाथों में हाथ
नाच रहीं फूलों के संग
मुस्काती, गाती-गुनगुनाती
तुम संग प्रीत निभाई दिन-रैन
तुम संग प्रीत निभाई दिन-रैन
ओस के बूँदों-सी
कमल की मोहकता-सी
झरने के कलकल-सी
जल की तरलता-सी
देववाणी की पवित्रता-सी
प्रीत हमारी मधु से मधु ।
सावन की बरखा
सुनहरी धूप, चाँद-सा पानी
दूब की बातियाँ
भागती गिलहरियां
कुहूक कोयल पुकारे सावन
मोर सुहावन उडत गगन
दादुरवा बोलत बारंबार
तुम सावन प्रियवर सभी के
कण-कण प्रकृति का
हिंडोल लेता, झूमता तुमसे l
भाँप लेते तुम मन की थाह
खेल तुम्हारा धूप-छांह
मुकर ना जाता कोई तुमसे
कहते सभी पुकार-पुकार
तुम संग प्रीत निभाई दिन रैन
तुम संग प्रीत निभाई दिन रैन…
(रचनाकाल – 29 जुलाई 2025)