
कवि और कविता श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “हे कठ मुनि” …
■ हे कठ मुनि !- डॉ. प्रेरणा उबाळे
हे कठ मुनि !
दिनभर मन में उभर रहा था
कठोपनिषद का वह श्लोक
“सत्यम शिवम सुंदरम” l
क्या सोचा होगा
क्या कुछ झेला होगा
क्यों लिखा होगा और
कैसे सूझा होगा
क्या कुछ सहना पड़ा होगा ?
क्या नीति को भ्रष्ट होते देखा होगा?
कैसे हुआ था साक्षात्कार
सत्यम शिवम सुंदरम का आविष्कार l
ब्रह्मांड का सत्य
मिथ्या जगत
मनुष्य का रहस्य
भाव अदृश्य
नश्वर विचार
अशाश्वत शरीर
आडंबर संसार का
युद्ध सत्यासत्यता का
जगत की अशाश्वतता में
अनहद नाद सत्य का l
सृष्टि के निर्माता
विध्वंसक सृष्टि के
तांडव करते शिव-से
पवित्र, सुंदर, मंगल
निःशब्द अभिव्यक्त सत्य
“सत्यम शिवम सुंदरम” l
वर्तमान समाज में
सत्य के कई रंग
अंतिम सत्य
कोई नहीं यहाँ अब l
हे कठ मुनि !
सत्य के बने कई कोण !
इसका सही
उसका सही
यह सही
वह भी सही
तू सही
मैं भी सही
सभी की सभी आशंकाएँ सही
सभी की सभी संभावनाएं सही
सही- सही में डावाडोल सभी
इसलिए आज
सही में नहीं अंतिम सत्य कोई l
सही में मौकापरस्तता
सही में स्वार्थपरकता
निजीपन की है अक्खड़ता
अमानवीयता, ध्वस्तता और ध्वस्तता l
हे कठ मुनि !
सत्य की नैतिकता
मार्ग कल्याण का
सौंदर्य जीवन का
ढूँढना पड़ता है अब l
सत्यम शिवम सुंदरम की
परिभाषा समझानी पड़ती है अब l
सत्यवादी लोग होते कम
जगत चलता उनके दम
सहीवादी, मिथ्यावादी
होते हैं परजीवी
जान न पाते
मंगल-अमंगल
हे कठ मुनि !
बताए आदरणीय ऋषि
जाना था यह सत्य कैसे
कलियुग में भी सत्य का आदर्श
रखेगा युग युग को जीवित l
बिग बैंग थिअरी
पकड नाही पाती
सत्य के कण-कण
सत्य का महत्व
मिथ्या बढ़ाता हरदम l
सत्य ही शिव
सत्य ही सुंदर
सत्य को पाकर
जगात हो जाए सुंदर l
– डॉ. प्रेरणा उबाळे (19 फरवरी 2025)