हैदराबाद विश्विविद्यालय : तेलंगना के यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद UoH के पास कांचा गाचीबाउली गांव में 400 एकड़ इलाके में फैले जंगल की कटाई की जा रही है। IT पार्क को लेकर सरकार को यह जमीन चाहिए। सरकार का दावा है कि इस प्रोजेक्ट में 50,000 करोड़ का निवेश आएगा और 5 लाख नौकरियां पैदा होंगी। तेलंगना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के अनुसार, यह विकास तेलंगाना के लिए ‘ऑक्सीजन’ जैसा है, लेकिन विडंबना यह है कि उन्होंने हैदराबाद के हरे-भरे पेड़ों को जेसीबी मशीनों से काटकर हटाना शुरु किया है।
यह जैब-विविधता का क्षेत्र है, यहां हजारों पशु-पक्षी निवास करते हैं। इस क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई, जिससे हिरण, सांप, अजगर, मोर और 232 अन्य पक्षियों की प्रजातियों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया। क्षेत्र Murricia hyderabafensis नाम की एक दुर्लभ मकड़ी की प्रजाति का भी एकमात्र घर है। इस इलाके में झीलें, गुफाएं, घास के मैदान, मिट्टी में रहने वाले कीड़े, पेड़ों की छायादार कतारें, चट्टानें और दुर्लभ वृक्षों की अनेक किस्में हैं।
ऐसे में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा इस जंगल की कटाई के विरोध से शुरु हुआ यह संघर्ष अब बढ़ता जा रहा है। बताते चलें कि यहां कांग्रेस पार्टी की सरकार है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के कई छात्र संघ सरकार के इस फैसले के विरोध में कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे है। इसी बीच इस मामले में AICC की पार्टी मामलों की प्रभारी मीनाक्षी नटराजन ने राज्य की डीएमके सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित 400 एकड़ भूमि के मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों के साथ चर्चा करने की अपील की है कि सरकार को छात्रों और अन्य लोगों की आपत्तियों को सुनना चाहिए और भूमि से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसके साथ ही, सरकार को सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए।
नटराजन ने यह बयान दिया कि इस मुद्दे पर नागरिक समाज समूहों से भी बैठकें की जाएंगी। कांचा गचीबोवली की जमीन राज्य सरकार की है और मौजूदा सरकार ने अदालतों में लड़ाई लड़ी और इसे अपने कब्जे में रखा है। यूओएच छात्र संघ के अध्यक्ष उमेश अंबेडकर ने कहा कि मंत्री समिति की ओर से आधिकारिक बातचीत के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला है।
तेलंगाना सरकार ने कांचा गचीबोवली में आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 400 एकड़ जमीन विकसित करने की योजना बनाई है, जिससे विश्वविद्यालय के छात्रों का विरोध शुरू हो गया है। छात्रों के अनुसार यह जमीन विश्वविद्यालय की है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि यह उनके कब्जे में है और उन्होंने यूओएच को इसके बदले करीब समान जगह आवंटित की है। इस मुद्दे की सुनवाई तेलंगाना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में हो रही है। हालांकि बढ़ते विवाद को देखते हुए साइबराबाद पुलिस ने सार्वजनिक शांति को बनाए रखने के लिए 4 अप्रैल को 400 एकड़ भूमि क्षेत्र में लोगों के प्रवेश पर 16 अप्रैल तक प्रतिबंध लगा दिया था। इस मामले की सुनवाई अब तेलंगाना उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में हो रही है।