
PhD में प्रवेश न मिलने पर एक छात्र शिवम सोनकर (दलित) कुलपति आवास के बाहर अकेले धरने पर बैठ गया। छात्र शिवम सोनकर का कहना है कि ‘मैं दलित हूं इसलिए मेरे साथ विभाग भेदभाव कर रहा है। मैंने काफी मेहनत करके दूसरा रैंक लाया है लेकिन विभाग PhD में एडमिशन नहीं दे रहा है। मैं दो दिन से विभाग का चक्कर लगा रहा हुं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है
वाराणसी : BHU में दलित छात्र का एडमिशन रोकने का आरोप, सामान्य वर्ग में दूसरे रैंक प्राप्ति के बावजूद प्रवेश नहीं मिला।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक छात्र शिवम सोनकर (दलित) ने गंभीर आरोप लगाया है कि सामान्य श्रेणी में रैंक 2 लाने के बावजूद उसका एडमिशन रोक दिया गया। इससे आक्रोशित छात्र ने कहा कि वह दलित है इसलिए उसके साथ जातिगत भेदभाव किया जा रहा है और कुछ जातिवादी प्रोफेसर उसे PhD में एडमिशन देने से मना कर रहे हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जैसे ही विभिन्न विभागों और केंद्रों में PhD प्रवेश परिणाम जारी होने लगे वैसे ही परिणामों को लेकर छात्रों का विरोध भी शुरू हो गया। शनिवार को मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च में PhD में प्रवेश न मिलने पर एक छात्र शिवम सोनकर (दलित) कुलपति आवास के बाहर अकेले धरने पर बैठ गया। छात्र शिवम सोनकर का कहना है कि ‘मैं दलित हूं इसलिए मेरे साथ विभाग भेदभाव कर रहा है। मैंने काफी मेहनत करके दूसरा रैंक लाया है लेकिन विभाग PhD में एडमिशन नहीं दे रहा है। मैं दो दिन से विभाग का चक्कर लगा रहा हुं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। विभाग द्वारा शोध के 7 सीटों पर प्रवेश होना था, जबकि 4 सीट पर एडमिशन लिया गया और 3 सीट खाली रखी गई है। यहीं, नहीं खाली सीटों को रेट एग्जम्प्टेड में स्थानांतरित करने का प्रावधान हैं, लेकिन ये भी नहीं किया गया है।’
इस मामले को लेकर दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों में भी आक्रोश है, और विश्वविद्यालय प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
वैसे प्रवेश न मिलने पर छात्र का विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाना स्वभाविक है किन्तु अगर यह आरोप सही साबित होता है, तो यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है और यह उच्च शिक्षा में न्याय की मूल भावना के खिलाफ है। शिक्षा संस्थानों में सभी को समान अवसर मिलना चाहिए और किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इस मुद्दे पर BHU प्रशासन की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। स्पष्टीकरण जारी करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र शिवम सोनकर के आरोपों को खारिज किया है। विश्वविद्यालय ने प्रेसनोट जारी कर बताया कि रेट एक्जेम्टेड श्रेणी में मुख्य विषय के लिए विज्ञापित तीन सीटें उमीदवारों की अनुपलब्धता के कारण रिक्त हैं। पीएचडी प्रवेश के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित वर्ष 2024-25 के इनफार्मेशन बुलेटिन के पृष्ठ संख्या 19 पर अंकित निर्देश स्पष्ट करता है कि विज्ञापित सीटों से कम आवेदन प्राप्त होने की स्थिति में सीटों का दूसरी श्रेणी में परिवर्तन काउन्सिलिंग प्रक्रिया आरंभ होने से पहले तक ही संभव है। केंद्र रेट एक्जेम्टेड श्रेणी में विज्ञापित सीटों पर आवेदकों की संख्या, विज्ञापित सीटों से बहुत अधिक थी। साथ ही काउन्सिलिंग प्रक्रिया आरंभ होने के बाद रेट एक्जेम्टेड सीटों का स्थानान्तरण रेट श्रेणी की सीटों में नहीं किया जा सकता है।
जारी प्रेसनोट में बताया गया है कि श्रेणी में मुख्य विषय में मेरिट के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जा चुकी है। आरक्षण के नियमों के अनुपालन में इस श्रेणी की 3 सीटों में से 2 सीटें मुख्य विषय, एक अनारक्षित तथा एक OBC और एक सीट एलाइड विषय (अनारक्षित) के लिए विज्ञापित की गई थी, जिन पर नियमानुसार प्रवेश सूची जारी की गई है। BHU में PhD में प्रवेश प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, निष्पक्षता और नियमानुसार साफ्टवेयर द्वारा पूरी कराई जा रही है। विश्वविद्यालय परिवार की सभी सम्बद्ध पक्षों से अपेक्षा है, कि किसी प्रकार की भ्रामक, अपुष्ट सूचनाओं के दुष्प्रचार से बचें, ताकि विश्वविद्यालय की छवि और प्रतिष्ठा को ठेस न पहुंचे।
लेकिन राज्य की विपक्षी पार्टियां इस अवसर का लाभ लेने को सक्रिय हो छात्र के पक्ष में भाजपा सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन पर जातिवाद का आरोप लगाकर पुतला दहन किया। अभी तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं पहुंचे। लेकिन असंतुष छात्र के साथ #Justice कार्यकर्त्ता एडमिशन होने तक इस आमरण अनशन को जारी रखे हुए हैं।