
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025, दिल्ली में चुनावी जीत का इंतज़ार कर रही भारतीय जनता पार्टी का 27 वर्ष का वनवास खत्म हुआ और दिल्ली की सत्ता मिल गई। और इसके साथ ही आम आदमी पार्टी 11 साल बाद सत्ता से बाहर भी हो गई। इससे पहले दिल्ली में भाजपा आख़िरी चुनाव 1993 में जीती थी।

कई बार की तरह इस बार भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री का कोई चेहरा पेश नहीं किया था, लेकिन पार्टी पीएम मोदी के नाम पर जनता के बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरी और कामयाब रही।
अन्य कथित पार्टियों से अलग भाजपा ने आप के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, सरकार विरोधी लहर और कांग्रेस पार्टी द्वारा दिल्ली में अपने अस्तित्व को पुनः खड़ा करने के लिए जी-जान लगा कर उतरने की एकमात्र विकल्प की स्थिति पर नज़र गड़ाए थी। और भाजपा ने इस मौके पर पूरी ताकत झोंक कर समय और सत्ता को अपने पक्ष में कर लिया। इन्हीं वस्तुनिष्ठ तथ्यों ने भाजपा की दिल्ली पर जीत में बड़ी भूमिका निभाई है।
साथ हीं केंद्र सरकार लोकसभा में 2025-2026 बजट द्वारा भी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मंत्र पढ़े जा रहे थे, इस आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपए तक की सालाना कमाई को टैक्स फ्री करने का एलान किया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फ़रवरी की वोटिंग से ठीक चार दिन पहले की बजट में घोषणा को मध्यम वर्ग पर बड़ा असर डाला। यह बीजेपी के फेवर में गया है और आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान कर गया।
इससे पहले जनवरी के मध्य में भी केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। दिल्ली में बड़ी संख्या में केंद्र से लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी रहते हैं और इस घोषणा ने बीजेपी को बड़ा चुनावी फायदा पहुंचाया।
आम आदमी पार्टी बीते 11 साल से लगातार दिल्ली की सत्ता में रहते हुए मुफ़्त बिजली-पानी, महिलाओं को मुफ़्त में बस की यात्रा, बुज़ुर्गों को मुफ़्त में तीर्थ यात्रा वगैरह का लाभ दे रही थी। दिल्ली की राजस्व पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने मुफ़्त में बहुत कुछ दिया, जो झुग्गी- झोपड़ी या ग़रीबों ने पसंद किया। लेकिन मध्यम वर्ग की नजर में दिल्ली जैसे शहर के बुनियादी ढांचे में जो विकास होना चाहिए वो नहीं हुआ, जो देश की राजधानी और यहां रहे रहे लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है।
वैसे देखा जाए तो दिल्ली में बुनियादी ढांचा मूल रूप से अब भी वही है वो सब कुछ जो दिवंगत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने विकास के लिए की थी।
महत्वपूर्ण वजह एक यह भी बीजेपी की जीत में रही कि को इस बार दिल्ली नगर निगम पर आम आदमी पार्टी का कब्ज़ा था और दिल्ली की खराब हालत के लिए आप और किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती थी। वैसे फिर भी आप ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर और केंद्र सरकार को कोसते रहे। एमसीडी पर आप का कब्ज़ा होने के बाद भी राजधानी में साफ़-सफ़ाई, रोड और पानी से जुड़ी कई अव्यवस्थाएं बढ़ती रही।
आम आदमी पार्टी की हार के पीछे एक बड़ी वजह इसके सबसे बड़े नेता पर कथित शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप भी है। दरअसल आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने जिस नैतिकतापूर्ण राजनीति की शुरुआत का वादा किया था कि साफ-सुथरी राजनीति करेंगे, पारदर्शी राजनीति करेंगे, उसे आप की पूरी मंडली ने अपने हाथों से ही ध्वस्त किया।
घोटाले के आरोपों में घिरे पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन चुनाव हार गए किसी तरह आतिशी मारलेना आप की मुख्यमंत्री रहते अपनी सीट बचा पाई, इसमें गोपाल राय सहीत 22 प्रत्याशियों ने जीत कर लाज रख ली। जो दिल्ली विधानसभा में मजबूत विपक्ष बन कर आप को शायद पुनः सत्तारूढ कर पाएं।
अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास कथित ‘शीशमहल‘ से भी लोगों को लगा कि ये लोग भी सुविधाजनक ज़िंदगी जीने लगे हैं और इससे केजरीवाल की छवि धूमिल हुई। बीजेपी ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया और चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को जमकर उछाला गया।
बीजेपी ने दिल्ली में एकबार फिर राज्य के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट कर पार्टी को ज़मीनी स्तर पर संगठित कर के रखना उसके लिए बड़ी चुनौती को पूरा किया। बीजेपी द्वारा चुनाव का माइक्रो मैनेजमेंट एक और उदाहरण है।
भाजपा ने दूसरी पार्टी से आए नेताओं का भी कुशलता से इस्तेमाल करते हुए कई नेताओं को विधानसभा का टिकट दिया और जीत भी हासिल की। कांग्रेस से बीजेपी में गए तरविंदर सिंह मारवाह अहम हैं, बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और मारवाह ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जंगपुरा सीट से हराया। पूर्व कांग्रेसी अरविंदर सिंह लवली ने गांधी नगर से और राजकुमार चौहान ने मंगोलपुरी से जीत हासिल की। चर्चा है कि कांग्रेस भले ही चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं की, लेकिन उसने आम आदमी पार्टी के वोट काटे, जिससे बीजेपी को मदद मिली है।
दिल्ली विधानसभा 2025 के चुनाव परिणाम के मुताबिक़ आप और बीजेपी के बीच 2.3% के वोटों का अंतर है। – अरुण प्रधान @arunpradhan (तस्वीर साभार Google, कुरील, news express)