
अमेरिका हमेशा से ज्यादा पैसा कमाने की इच्छा की रखने वालों का डेस्टिनेशन रहा है चाहे व्यापार से या मेहनत-मजदूरी करके। पढ़ाई करने या डिग्रियां लेने जाने वालों का मामला अलग है। अब आसान तरीके से बिजा नहीं मिलने पर यह सारा मामला शुरू होता है।
हम डंकी रूट से गये भारतीय लोगों की वापसी और उसके तरीके से सहानुभूती तो रख सकते हैं। लेकिन 40-50 लाख रूपये खर्च कर कमाने के लिए गलत तरीके से विदेश जाना ! यह एक मुर्खता ही प्रतीत होता है। भारत में लाखों परिवार ऐसे हैं जो 2-3 लाख रूपये के लिए तरसते हैं कि उन्हें अगर इतनी भी रकम मिल जाय तो रोजगार शुरू करें। और, दूसरी ओर खास तौर पर पंजाब, हरयाणा जैसे राज्यों के लोग 40-50 लाख रूपये रखने के बाद भी कमाने विदेश जाते हैं, खैर !
क्या है डंकी रूट, अपने पैसे खर्च कर और अपनी जान संकट में डालकर भी लोग विदेश डंकी रास्ते से जाते हैं ? इसे डंकी क्यों कहा गया ? ‘डंकी’ अंग्रेजी का शब्द है Donkey या जिसे हम A for ‘Ass’ भी पढ़े हैं, जिसका हिन्दी अर्थ ‘गधा’ होता है। लोगों के गधा बनाकर उनके पैसे ऐंठ कर खतरनाक रास्ते विदेश भेजा जाता है, इसको डंकी रूट कहा जाता है! यह डंकी रूट अवैध तरीका है, इसके फायदे से ज्यादा खतरा ही रहता है।
वीज़ा न होने के चलते डंकी रूट के इस रास्ते पर कई देशों की सीमाएं अवैध तरीके से पार करनी होती हैं जिसके कारण इस रास्ते पर लोगों का शोषण होता है। कुछ लोग बीच रास्ते में ही मारे जाते हैं। लोग इस रास्ते से जाने के लिए भी 70 से 80 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, एजेंट फ़र्ज़ी यूनिवर्सिटी एडमिशन के नाम पर वीज़ा लेते हैं, वर्क परमिट लेते हैं। अमेरिकी सीमा के पास लोगों को रुकवाते हैं और फिर अवैध तरीके से अमेरिका, कनाडा या यूरोपियन देशों में एंट्री कराते हैं।
मूल रूप में डंकी रूट अवैध घुसपैठ का सबसे बड़ा जरिया है, जहां सीमा बिना दस्तावेज के पार कराई जाती है। एशियाई देशों के लोगों को जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों से अमेरिका और यूरोपीय देशों में घुसपैठ कराया जाता है। यह रूट मानव तस्करी और ड्रग्स सप्लाई के काले धंधे का अहम हिस्सा भी है और इनमे से कई लोगों को इसमें ही खपा दिया जाता है। यह रूट अमेरिका और यूरोपीय देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता है और आतंकवादियों के घुसपैठ का आसान रास्ता भी होता है। ऐसे लोगों को नकली दस्तावेजों और भ्रष्टाचार के जरिए इन्हें कानूनी पहचान दी जाती है।
लेकिन फिर भी अपने देश से अच्छी और ज्यादा कमाई के लक्ष्य के कारण भारत का एक व्यक्ति कम से कम 30-40 लाख रूपये निवेश करके अवैध तरीके डंकी रूट से अमेरिका जाता है और वहां अवैध प्रवासी बनकर काम करता है। तो वह पहले पहल छोटे मोटे कार्य जैसे साफ-सफाई, टॉयलेट साफ करने, माली आदि या अन्य ऐसे कामों में लग जाता है। इस कार्य के लिए उन्हें वहां 10 डॉलर प्रति घंटे मिलता है, फोरमैन 14-15 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से पैसे लेता है, कुछ 4-5 डॉलर अलग से प्रति घंटे और भी कार्य कर कमा लेता है। इस तरह एक सप्ताह में 40 घंटे काम करने पर वह व्यक्ति 1600 डॉलर यानि लगभग 1.39 लाख रूपया महीना कमा लेता है।
वे 12-14 लोग मिलकर एक घर किराए पर रहने के लिए लेते हैं। यहां प्रति व्यक्ति 8,500 रूपये यानि 100डॉलर मकान किराया और 17,000 रूपया यानि 200 डॉलर खाने-पीने व अन्य खर्च करता है। इस तरह वे लोग हर महीने करीब 85,000 रूपये यानि 1000-1200$ तक बचा लेते हैं, यानी साल में 10.20 लाख रूपये। अमेरिका में जाने में निवेश से तुलना करें तो 30 लाख रूपये की लागत पर उन्हें लगभग 30 से 35% तक का वार्षिक रिटर्न मिल जाता है ! और तीन-चार वर्ष में उनकी लगभग 40-50 लाख रूपये की पूरी पूंजी वापस मिल जाती है और फिर इसके बाद का जो है वह बचत ही है।
इस तरह से 6 महीने से 1 वर्ष की बचत से 5-7 लाख रूपये से रोजगार की पूंजी बनाया जा सकता है या दुकान, ऑटो आदि से परिवार के स्थायी आय का स्रोत या बहन की शादी या भाई को सरकारी नौकरी के लिए इस्तेमाल हो सकती है। क्या भारत में यह सब संभव है? अगर हमारी-आपकी योग्यता सामान्य ग्रेजुएट से ऊपर या इंजिनियर आदि की है तब भी क्या ₹30 लाख उधार लेकर तीन साल में चुका सकते हैं? भारत में क्या ₹5 लाख मात्र 6 महीनों में बचा सकते हैं या ₹10-12 लाख सालभर में इकठ्ठा कर सकते हैं ताकि कमाई का स्थायी साधन खरीदा जा सके? जवाब है नहीं। किन्तु अमेरिका में यह संभव है क्योंकि अभी डॉलर और रुपये का अनुपात 87:1 है और वहां मजदूरी करके भी लोग 1 लाख रुपया महीना कमा सकते हैं। भारतीय मजदूर सऊदी अरब में भी 12-12 घंटे काम करके 1 लाख रुपया महीना कमाते हैं और 50-60 हज़ार रूपये महिना तक की बचत करते हैं। जो लोग इस तरीके से इन देशों में जाते हैं, उनका इरादा वहां बसने का नहीं होता है। वे कुछ वर्षों तक कड़ी मेहनत करके पैसे कमाते हैं, भारत में अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करते हैं। यहाँ तक कि अपने बच्चों के अमेरिकी नागरिक बनने के बाद उन्हें बेहतर भविष्य देने की योजना बनाते हैं या अपने देश लौट कर अपना व्यवसाय शुरू करते हैं। भारत के कई राज्यों खास कर केरल, कर्णाटक, बिहार, UP आदि में यह काफी आम बात है।
इन लोगों द्वारा विदेश जाने के अवैध तरीका यानि डंकी रूट का कारण है कि भारतीयों के लिए अमेरिका में श्रमिक के रूप में कानूनी एंट्री लेना मुश्किल है। होटलों और रेस्टोरेंट्स में अवैध रूप से गए भारतीय रसोईये का कार्य कम वेतन पर करने लग जाते हैं। वहां किसी होटल को अगर कानूनी तौर पर कुक रखना हो तो 5000 से 7000 डॉलर यानि 4-6 लाख रूपये महीना हेल्थ इंश्योरेंस सहित देना पड़ता है जबकि अवैध रूप से काम करने वाले कुक को मात्र 2000 डॉलर यानि 1.7 लाख रूपये महीना साथ में खाने-रहने की सुविधा देना पड़ता है बस! मगर भारत में इतने कम समय में इतनी बड़ी बचत कर पाना लगभग असंभव है। अगर किसी पुरुष या महिला के पास अच्छा खाना बनाने का कौशल है, तब भी 1 लाख रूपये सालाना पर भी काम नहीं मिलेगा, तो वह इतने रूपये कैसे बचा पाएंगे। यही स्थिति वहां ड्राइवरों का भी है और, अगर सफाई कर्मचारी का मामला हो तो यह और भी मुश्किल है।
असल में यह स्थिति दुनिया के स्तर पर और अपने देश में तब तक बनी रहेगी मुख्य रूप से जब तक रोजगार और नौकरियों की समस्या बनी रहेगी और दूसरी स्थिति, रूपये के साथ डॉलर के रिश्ते में बड़ा अंतर बना रहेगा और उन देशों में सस्ते श्रम की मांग बनी रहेगी। इसी कारण से यह एक खतरनाक रास्ता होते हुए भी लोग यह जोखिम उठाते हैं। – अरुण प्रधान