‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “सपने तो बहुत देखते हैं लोग”

‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “सपने तो बहुत देखते हैं लोग”

कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “सपने तो बहुत देखते हैं लोग” …

● सपने तो बहुत देखते हैं लोग- डॉ. प्रेरणा उबाळे

नींद में
अधनींद में
खुली आंखों से
बंद पलकों से
एक झपकी में
दो चुटकी में
सपने तो बहुत देखते हैं लोग

प्रेम का कोई प्यारा
नेह का कोई दुलारा
आँखों का कोई तारा
अँधियारा हो उजियारा
सपने तो बहुत देखते हैं लोग

सपने घर-बार के
सिर पर ताज के
फूलों सी हँसी के
मिटती खुशी के
ललचाए स्वाद के
मनचाहे प्यार के
अपनों के स्पर्श के
बीती खरोचों के
सपने तो बहुत देखते हैं लोग

सपने, सावन की बारिश
सपने, एक अधूरी ख्वाहिश
सपने समेटते नहीं झोली में
उमड़-घुमड आते
मन से
भावों से
आँखों से
शब्दों से
बह जाते… बहते जाते…
तब भी
सपने तो बहुत देखते हैं लोग

सपनों की दुनिया
ब्लैक एण्ड व्हाइट
कभी रंगीन कभी संगीन
कभी यौवन कभी पनीलापन
कभी जीवन कभी मरण
फिर भी
सपने तो बहुत देखते हैं लोग

इन्सानों की पागल दुनिया में
सपनों की अनोखी दुनिया
वह उसकी रोशनदान
हर जगह नया पायदान
सालोंसाल देखते हैं लोग
मीलों-मील देखते हैं लोग
अगणित देखते हैं लोग
सपने तो बहुत देखते हैं लोग …
पूरा करने की हिम्मत रखते हैं कम लोग… – डॉ. प्रेरणा उबाळे (21 मई 2024)

डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर पुणे-411005, महाराष्ट्र)

1 thought on “सपने तो बहुत देखते हैं लोग- डॉ. प्रेरणा उबाळे

  1. शब्द कम पढ जाते हे आपकी कविता को देख कर जैसे मानो आप ने नही मैने लिखा हो पढते ही जाने का मन करता हे कभी खतम ही ना हो ऐसे लगता हे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *