
Rail Minister Ashwini Vaishnav at Balasor train accident
– अरुण प्रधान
4 मार्च, 2022 को केंद्रीय रेल मंत्री बता रहे थे कि जब आमने सामने 2 ट्रेन आ जाएं तो हादसे को कैसे रोका जा सकता है। इस ऑपरेशन का नाम “कवच” दिया था। रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने खुद उस ट्रायल को सफल बताया था।
शुक्रवार को ओडिशा के बालासोर में ट्रेनों की भिड़ंत हुई, जिसमें लगभग 288 यात्री मारे गए, 59 गंभीर रूप से घायल और 950 घायल हैं। इस समय स्कूल आदि में छुट्टियों के कारण पूरा परिवार दूसरे पर्यटन स्थलों पर निकलता है। जिसमें सस्ता साधन होने की वजह से रेल में यात्रियों की संख्या इस समय बढ़ी होती है।
एक प्रश्न इधर पिछले प्रयोगों से उभर रहा है कि स्वदेशी सुरक्षा तकनीकी का यह प्रयोग किन परिस्थितियों में असफल रहा है ? रेलवे अभियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों को इसका जवाब और दुर्घटना के तथ्यों को नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करने के साथ उजागर करनी होगी।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक हादसे की एकमात्र वजह ट्रेन को पटरी से लुढ़कना बताया गया है। दुर्घटना की जगह पर दो मेन लाइन और दो लूप लाइन है। मेन लाइन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस आ रही थी, वह पटरी से उतर गई। उसका एक हिस्सा लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकराया और दूसरा हिस्सा दूसरी तरफ आ रही पैसेंजर ट्रेन से टकराया।
पीछे का हिस्सा पैसेंजर ट्रेन से टकराया है और आगे का हिस्सा कोरोमंडल एक्सप्रेस का डिरेल होने के बाद गुड्स ट्रेन से टकराया है। इसकी वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ। रेलवे ने सिगनल फेल होने की बात नहीं कही है और न ही सीधी टक्कर हुई है।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा – यह बहुत बड़ी दुर्घटना है। सभी दिवंगत आत्माओं के लिए हम प्रार्थना करते हैं। कल रात से रेलवे की टीम, एनडीआरएफ, ओड़ीसा स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स बचाव कार्य में जुटी है। जिनके परिवार के सदस्यों की इस हादसे में मृत्यु हो गई, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। सरकार उन्हें हर संभव मदद करेगी। रेलवे ने कल ही मुआवजे का ऐलान कर दिया था, जांच कमेटी का भी गठन किया गया है।
दुर्घटना पर नजर रखने वालों का कहना है कि अभी पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु की कुछ बातेँ याद हो आती हैं। सुरेश प्रभु जी के तीन वर्षों के कार्यकाल में 207 बार रेलगाड़ी दुर्घटना हुई थी और कुल 249 लोग मरे थे। वास्तव में सुरेश प्रभु रेलवे का आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में ले जा रहे थे। जो रेलवे ठेकेदारों को पसंद नहीं आ रहा था। सुरेश प्रभु को हटाया गया और उनके हटते ही दुर्घटनाएँ शून्य हो गई थी।
रेलवे मंत्री कुछ समय पीयूष गोयल के रहने के बाद अब नए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव जी बनाए गए हैं। अश्विनी वैष्णव पुनः रेलवे के आधुनिकीकरण पर बल दे रहे हैं।
रेलवे में ठेकेदारों की एक लॉबी और ब्यूरोक्रेट्स का गिरोह का प्रभाव और पकड़ इतना विस्तृत है। इस गठजोड़ के लाभ से अलग योजना चलाना कठिन है क्योंकि ये चाह लें तो हर दिन दुर्घटना होगी। वंदे भारत, विद्युतीकरण, ओपन टेंडर आदि की प्रक्रिया के कारण इनकी कमाई पर संकट बनता जा रहा है। संभव है कि इन रेल हादसों के अदृश्य कारण इस लॉबी की मुनाफे पर सरकार की आधुनिकीकरण की योजना के चोट हों ! – अरुण प्रधान @arunpradhan