Narega-sangharsh-morcha

Narega-sangharsh-morcha at Jantar Mantar Delhi

नरेगा में मजदूरी दर को बढ़ाना चाहिए। यह कृषि मजदूरी दर से भी कम है। 7 वें वेतन आयोग ने वर्ष 2016 में न्यूनतम मजदूरी प्रतिमाह 18 हजार रूपये की अनुशंसा की थी। अभी जीवन यापन के वस्तुओं के दामों में महंगाई बेतहासा बढ़ी है। जिसकी वजह से हमारी मांग है कि नरेगा मजदूरी दर 800 रूपया प्रति दिन करना चाहिए।

जंतर-मंतर : दिल्ली के जंतर मंतर पर 13 फरवरी 2023 से नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर से अपनी मांगों को लेकर नरेगा मजदूरों का 100 दिन का निर्धारित धरना राज्यवार चल रहा है। अभी पश्चिम बंगाल के नरेगा श्रमिक जंतर मंतर पर बैठे हैं।

मोर्चा के प्रतिनिधि अपूर्वा ने newspcm को बताया कि यह नरेगा श्रमिकों का धरना हम “100 दिन काम 100 दिन धरना” के प्रसंग पर आयोजित किया गया है। आज जंतर मंतर पर नरेगा मजदूरों के 100दिवसीय धरना पर आ कर सतर्क नागरिक समिति के अंजली भारद्वाज ने अपनी बात कही और नरेगा मजदूरों की मांगों का समर्थन किया। National Platform for the Rights of the Disabled @NPRD_IN के मुरलीधरन ने इनका समर्थन करते हुए शारीरिक दिव्यांग की एकजुटता की बात कही। और इन मजदूरों ने रैली भी निकाली।

अपूर्वा ने बताया कि नरेगा मजदुरी भुगतान में इस्तेमाल हो रहे NMMS ऐप से इन मजदूरों को बहुत अधिक परेशानी हो रही है। इस ऐप से मजदूरों की हाजिरी सही से दर्ज नही हो पाती है। जिससे उन्हें अपनी आधी 50% मजदूरी का अक्सर नुकसान हो जाता है।

Muralidharan, National Platform for the Rights of the Disabled and Anjali Bhardwaj -Satark Nagarik Sangathan

ऐप के इस्तेमाल के लिए स्मार्ट मोबाइल फोन की जरूरत होती है। नरेगा सुपरवाईजर इन मजदूरों को भी मोबाईल खरीदने के लिए कर्ज देते हैं और फिर मनमाने पैसे वसूलते हैं। नरेगा की आधी मजदूर महिलाएं हैं। ऐप से उपस्थिति दर्ज कराने में इन मजदूरों का कोई कंट्रोल नहीं होता। इसलिए NMMS के द्वारा हाजिरी प्रणाली को हम बंद करने की मांग करते हैं।

भारत सरकार से हमारी मांग है कि नरेगा के सभी मजदूरों को भुगतान में अब तक के बकाया मजदूरी का जल्द से जल्द भुगतान किया जाय। वित्त वर्ष 2022-23 में सिर्फ 73 हजार करोड़ रूपए नरेगा के लिए जारी किया गया। लेकिन इनके मजदूरी भूगतान के पिछले वर्ष का बकाया ही 18 हजार करोड़ रूपया है।

हमारी मांग है कि मजदूरी का भुगतान काम खत्म हो जाने के बाद 15 दिनों तक हो जाना चाहिए। मजदूरी भुगतान में देरी से खासकर महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार नरेगा मजदुरी का भुगतान 15 दिनों तक करने की ठोस व्यवस्था विकसीत करे।

नियम के मुताबिक नरेगा मजदूरी को मजदूरी भुगतान में देरी के क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। तो सरकार मजदूरी भुगतान में देरी की क्षतिपूर्ति का भी अवश्य भुगतान करे। जो कि पेंडिंग मजदूरी का 0.5% होगा।

नरेगा में मजदूरी दर को बढ़ाना चाहिए। यह कृषि मजदूरी दर से भी कम है। 7 वें वेतन आयोग ने वर्ष 2016 में न्यूनतम मजदूरी प्रतिमाह 18 हजार रूपये की अनुशंसा की थी। अभी जीवन यापन के वस्तुओं के दामों में महंगाई बेतहासा बढ़ी है। जिसकी वजह से हमारी मांग है कि नरेगा मजदूरी दर 800 रूपया प्रति दिन करना चाहिए।

नरेगा के कार्यों के साथ तमाम चीजों के मुल्यांकन के लिए हम एक स्वतंत्र सोशल ऑडिट ईकाई के गठन की मांग करते हैं।

मजदूरी का 10% नरेगा मजदूरों को ट्रैवेल भत्ता दिया जाने की हमारी मांग है। कार्य के दौरान मृत्यु अथवा धायल होने पर क्षतिपूर्ति की राशी को भी बढ़ाया जाना चाहिये।

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