नई दिल्ली : बुधवार 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामले की कैबिनेट CCPA की बैठक हुई, इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल के टॉप मिनिस्टर्स शामिल थे, जिसमें कई अहम फैसले समेत जाति जनगणना कराने पर केन्द्र सरकार ने फैसला लिया है। इस कैबिनेट बैठक में सरकार ने जनगणना के साथ ही जाति जनगणना कराने का भी फैसला लिया। इस CCPA के अध्यक्ष हैं PM मोदी। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस को ब्रीफ करते हुए बताया कि “आने वाली जनगणना में जातियों की गणना भी कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने शिलांग से सिलचर के बीच नए हाईवे के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल लागत 22,864 करोड़ रुपये होगी। इसके साथ ही 2025-26 गन्ना सत्र के लिए किसानों को राहत देते हुए 355 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को भी मंजूरी दी गई है।”

अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि “आज हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अगली जनगणना में जातीय गणना को शामिल किया जाएगा। यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि अब तक जातीय जनगणना मूल जनगणना का हिस्सा नहीं रही है। कुछ राज्यों ने जातीय सर्वे अपने स्तर पर किया है, लेकिन सामाजिक ताने-बाने को समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण जरूरी है। CCPA ने तय किया है कि अब जातियों की गिनती अगली जनगणना में की जाएगी, किसी अलग सर्वे के तहत नहीं।” %

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि “कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गई। वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह जी ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर केबिनेट में विचार किया जाएगा। इसके बाद एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, एक सर्वे कराना ही उचित समझा जिसे SECC के नाम से जाना जाता है। इस सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनैतिक लाभ के लिए उपयोग किया। जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यो में यह कार्य सूचारू रूप से संपन्न हुआ है। वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनैतिक दृष्टि से और अपारदर्शी ढंग से सर्वे किया है। इस प्रकार विपक्ष समाज में भ्रांति फैली रहा है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारा सामाजिक ताना बाना राजनीति के दबाव में न आए, जातियों की गणना एक सर्वे के स्थान पर मूल जनगणना में ही सम्मिलित होनी चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश की भी प्रगति निर्बाध होती रहेगी।

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज दिनांक 30.04.2025 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनैतिक विषयों की कैबिनेट समिति ने यह निर्णय लिया है कि जातियों की गणना को आने वाली जनगणना में सम्मिलित किया जाए। यह दर्शाता है कि वर्तमान सरकार देश और समाज के हितों और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। इसके पहले भी जब समाज के गरीब वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया समाज के किसी घटक में तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था।

प्रधानमंत्री मोदी के आम जनगणना में जाति जनगणना करने के फैसले पर विपक्ष की पार्टियां स्तब्ध है। विपक्ष को लगभग रहा था कि जाति राजनीति में भाजपा उनसे बाजी नहीं जीत पाएगी और जातीय राजनीति उन्हें सत्ता में वापस ले आएगी। जातीय राजनीति उनके लिए भारत के केन्द्रीय सत्ता और राज्यों में सत्ता हासिल करने का ब्रह्मास्त्र है। किन्तु पहलगाम में आतंकी हमला और पाकिस्तान पर सिन्धु नदी के जल समझौता रद्द करने की परिस्थित में भाजपा ने जातीय जनगणना कराने का फैसला कर विपक्ष को अचरज में डाल दिया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संतुलित बयान देते हुए केंद्रीय सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का मुद्दा है। समाजवादी पार्टी का प्रमुख अखिलेश यादव और राजद का नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे दबाव के कारण भाजपा जातीय जनगणना कराने पर मजबूर हुई है।

वहीं NDA के पार्टनर JDU ने कहा कि हम यह 1996 से इस मुद्दे की मांग करते रहे हैं। एनडीए की सहयोगी शिव सेना एकनाथ सिंदे ने इस फैसले को समाजिक न्याय में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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