मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार को हटाने का आदेश HC में वापस लिया, इरफ़ान अंसारी ने सरकार की भद्द पिटवाई

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार को हटाने का आदेश HC में वापस लिया, इरफ़ान अंसारी ने सरकार की भद्द पिटवाई

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायलय में पड़ी तारीख पर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के निदेशक को असंवैधानिक तरीके से हटाने के राज्य के जामताड़ा विधायक और स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफ़ान अंसारी द्वारा जारी आदेश को वापस ले लिया। रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार एशिया के पैमाने पर दुसरे स्तर के न्युरो सर्जन हैं और वह दिल्ली के AIIMS के भी निदशक के साथ साथ विदेशों के स्वास्थ्य संसथान के भी उत्कृष्ट सेवा दे चुके हैं।

मामला यह है कि झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफ़ान अंसारी और रिम्स अस्पताल के निदेशक डॉ राजकुमार के बीच कुछ करोड़ रुपये के अवैध भुगतान से इंकार पर तकरार का है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशासी परिषद की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों के दबाव में कुछ करोड़ रुपये का अवैध भुगतान करने से रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार ने इनकार कर दिया था। जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान ने GB बुलाकर आनन फानन ने रिम्स निदेशक को पद से “मुख्यमंत्री के अनुमोदन” के झूठे दावे के तहत हटाने का आदेश देते हुए बर्खास्त कर दिया था। इस पर रिम्स निदेशक झारखण्ड उच्च न्यायलय पहुंचे और अंततः कोर्ट ने मुख्यमंत्री को तलब किया। हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायलय में मंत्री के आदेश को वापस ले लिया और डॉ राजकुमार को निदेशक पद पर बने रहने का आदेश देते हुए विवाद को समाप्त किया।

उच्च्च न्यायलय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा निदेशक के हटाये जाने के स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी के आदेश को वापस लेने के बाद इरफ़ान अंसारी की भद्द पिट गयी है। झारखण्ड में इरफ़ान अंसारी मंत्री के इस मनसा पर तरह तरह की चर्चा है।वैसे राज्य की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री पर धौंस ज़माने के कांग्रेस विधायक इरफ़ान अंसारी के इस कार्य से कांग्रेस का राज्य में रुत्वे में फर्क पड़ने की बात विपक्ष कह रहा है और आलोचना भी कर रहा है। विपक्षी नेता और झारखण्ड भाजपा सांसद व् रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कांग्रेस पार्टी और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने सरकार के दबाव में अवैध भुगतान करने से इनकार कर दिया था। और साथ ही स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान ने मामले को उजागर करनेवाले पत्रकार न्यूज़ हाट @newshaatofficia के संपादक कुमार कौशलेन्द्र पर मुकदमा भी किया।

कोर्ट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी का आदेश तो वापस ले लिया किन्तु न्यूज़ हाट के संपादक पर इरफ़ान अंसारी के आप्त सचिव अजहरूद्दीन द्वारा दायर FIR न तो रद्द किया गया और न ही वापस लिया गया है। झारखण्ड में सरकार के मंत्री द्वारा सच कहने पर पत्रकार को डराने-धमकाने और मुकदमा में फंसने का नया मामला है। किन्तु रांची प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष सुरेन्द्र लाल सोरेन, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र गिरी, सचिव अमरकांत, संयुक्त सचिव रतनलाल, कोषाध्यक्ष कुबेर सिंह, कार्यसमिति सदस्य आलोक कुमार सिन्हा, अंजनी कुमार, राजू प्रसाद, संजय सुमन, आरजे अरविंद, चन्दन भट्टाचार्य, विजय मिश्रा, मोनू कुमार, सौरभ शुक्ला सहित प्रेस क्लब के सभी पत्रकार सदस्य ने एक स्वर में झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी के द्वारा पत्रकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की निंदा की और हेमंत सोरेन से FIR वापस लेने की भी मांग की है।

न्यूज़ हाट के संपादक कौशलेन्द्र ने FIR के जबाव में जगन्नाथ पुर थाने में अपना जबाव दिया है जिसमे उन्होंने मामले की पूरी तथ्यों को स्पष्ट किया है। उन्होंने newspcm से बातचीत में कहा कि रांची के जगन्नाथपुर थाने में स्वास्थ्य मंत्री ने FIR दर्ज करायी थी और थाने द्वारा मुझे तलब किया गया था। आज मैं अपने जबाव सहित थाने में पहुंचा, मुख्यमंत्री कार्यालय ने मुझ पर दायर मुकदमा वापस लेने की बात की है। न्यूज़ हाट यूट्यूब चैनल के संपादक कुमार कौशलेंद्र ने कहा कि उन्होंने किसी दुर्भावना से मंत्री या किसी के विरुद्ध कोई समाचार नहीं चलाया, बल्कि रिम्स निदेशक को हटाने के मामले की वास्तविक रिपोर्टिंग की है। उनपर लगाया गया ब्लैकमेलिंग का आरोप भी झूठा है। समाचार प्रसारित करने पर किसी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराना गलत है। सच्चाई को कार्यक्रम का हिस्सा बनाने पर FIR वाली प्रतिक्रिया उचित नहीं है, लोकतंत्र मे आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को भी स्वीकार करना चाहिए ।

पत्रकारों के उत्पीड़न में ऐसे तो कोई पार्टी पीछे नहीं है। अगर सत्ताधरी या विपक्षी पार्टी के नेता और निति की आलोचना पत्रकार कर दे तो उसे पार्टी विरोधी मान लिया जाता है, यह चलन आजकल कुछ ज्यादा ही है। जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से विपक्षी पार्टियाँ निर्दोष और पवित्र हो गई हैं। पत्रकारों के उत्पीड़न-दमन में कांग्रेस पार्टी और इसके विधायक, सांसद, मंत्री से लेकर छुटभैये नेता-कार्यकर्ताओं का तो पुराना इतिहास ही है।

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