अमेरिकी डीप स्टेट की गहराती साज़िश मणिपुर सहित पूर्वोत्तर एजेंडा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या का षडयंत्र और डेनियल कॉर्नी से राहुल गांधी तक संदिग्ध नेटवर्क ! : अरुण प्रधान

अमेरिकी डीप स्टेट की गहराती साज़िश मणिपुर सहित पूर्वोत्तर एजेंडा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या का षडयंत्र और डेनियल कॉर्नी से राहुल गांधी तक संदिग्ध नेटवर्क ! : अरुण प्रधान

अरूण प्रधान —

अभी-अभी एक वर्ष पहले हुई कुकी बनाम मैती हिंसा से मणिपुर को थोड़ी राहत मिली है। वर्षों पुराने इस झगड़े की जड़ तो एक भितरी मसला है। किन्तु इसे स्थाई बनाए रखने और इसके आधार पर धर्मांतरण, हिन्दू विरोध और भारत के खिलाफ इसाई मिशनरी साजिश पर से पर्दा धीरे-धीरे उठ रहा है। ऐसी साजिशों में अमेरिकी एजेंसीयां, डीप स्टेट और इसाई मिशनरीयां के साथ भारत के भितर के लोग शामिल हैं।

मणिपुर सहित भारत की पूर्वोत्तर सीमा पर चल रही हिंसा और अस्थिरता के पीछे छुपे साजिश का एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ, यह नेटवर्क अमेरिकी डीप स्टेट के एजेंट डेनियल स्टीफन कॉर्नी (Daniel Stephen Courney) के साजिशों से शुरू होता है। लेकिन इसकी जड़ें देश के बाहर और भीतर भी गहरी और विस्तार पायी हुई हैं। 40 वर्षीय डेनियल कॉर्नी सिर्फ एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक या एक साधारण मिशनरी नहीं है, बल्कि एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी भी है जो दक्षिण एशिया में व्यवस्थित रूप से भारत विरोधी गतिविधि 15 वर्षों से चला रहा है। अपने षड्यंत्रों को अंजाम देने के लिए कॉर्नी वर्ष 2009 में भारत आया और कुछ हफ्तों के भीतर ही आंध्र प्रदेश के
गुंटूर में एक पादरी की भतीजी अनुषा से शादी कर लिया और यहीं बस गया।

डेनियल कॉर्नी ने मणिपुर में कुकी आदिवासी समुदाय के अतिवादियों को ड्रोन व बुलेटप्रूफ जैकेट आदि जैसे सैन्य साजो-सामान वितरित किए हैं जिसका स्पष्ट वीडियो सामने आया है। उसकी गतिविधियां स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करता है कि वह केवल एक धर्मप्रचारक नहीं है, बल्कि एक प्रशिक्षित खुफिया एजेंट है। डेनियल कॉर्नी के बारे में जो वीडियो, चित्र और तथ्य यहां रखा गया है, उसकी तथा संभव जांच की गई है। डेनियल वीडियो में कुकी समुदाय को सैन्य उपकरण देते दिख रहा है और स्पष्ट कह रहा है कि ये ड्रोन “शत्रु” यानी मैतेई हिंदुओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हैं। इस वीडियो के बारे में सुत्र कहते हैं कि यह वीडियो 16 अगस्त से 3 सितंबर 2023 के बीच का है, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से मार्च 2024 में रिलीज किया गया। भारत-विरोधी अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क में इस अमेरिकी डीप स्टेट एजेंट डेनियल कॉर्नी की गतिविधियों इसका स्पष्ट प्रमाण मिला है।

आप, मणिपुर में चल रही हिंसा की थोड़ी खोजबीन करेंगे तो इसके पीछे “प्रॉक्सी वॉर” के सबूत मिलेंगे, जिसमें स्थानीय चर्च की सह पर संभावित रूप से अमेरिकी बैप्टिस्ट चर्च और CIA के समर्थन से ईसाई आतंकवादी ईसाई समुदायों द्वारा जातीय-धार्मिक झगड़ा क्षेत्रीय हिन्दू, आदिवासी और गैर-ईसाई लोगों के साथ खड़ा कर रहा है।

कॉर्नी भारत में 2017 में लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम की शिकायत पर धर्मांतरण गतिविधियों के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया और निऱवासित किया गया था और इसके बाद वह नेपाल चला गया। नेपाल के रास्ते फ्री प्रवेश का लाभ उठाते हुए डेनियल भारत में अवैध रूप से वापस आता और अपने बीबी के साथ रहता, बच्चे पैदा करता और अपने भारत विरोधी कार्यों में लग जाता।

मणिपुर में कॉर्नी की गतिविधियों का समय और सितंबर 2024 से मणिपुर में शुरू हुए ड्रोन हमलों का समय एक ही है और यह सिर्फ संयोग नहीं बल्कि दोनों के बीच ठोस संबंध का प्रमाण है जो अत्यंत चिंताजनक है। मणिपुर के कौत्रुक में 1 सितंबर 2024 को ड्रोन से RPG हमले हुए जिसमें दो महिला की मौत हो गई। मणिपुर पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा कि “इसमें तकनीकी विशेषज्ञता और उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता”।

26 अगस्त 2025 को नेपाल के इमिग्रेशन विभाग ने डेनियल कॉर्नी को गिरफ्तार किया और 6 सितंबर को उसे 50,000 नेपाली रुपए के जुर्माने के साथ 11 साल के प्रतिबंध के साथ निर्वासित कर दिया।

डेनियल कॉर्नी की दिखाई दे रही भारत विरोधी गतिविधियां से भारत विरोधी खतरे का आभास तो हो रहा है, लेकिन इसमें गहरी साज़िश और संबंध महसूस तो हो रहा है।

डेनियल कॉर्नी की तरह अमेरिकी डीप स्टेट के एजेंडे का भारत में भी सहयोगी हैं जिसके आभास स्नै स्नै भारतीयों को हो रहा है। एक और गंभीर संदेह राहुल गांधी की रहस्यमय विदेशी यात्राओं से उत्पन्न होता है, जिसके बारे में सामाचार माध्यमों से सूचना मिलती ही है। 2015 में राहुल गांधी 60 दिनों के लिए विदेश दौरे पर चले गये थे और सबसे अधिक 21 दिन राहुल गांधी ने म्यांमार में बिताया था। राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस की 2014 की करारी हार के तुरंत बाद हुई थी। और खास बात यह कि राहुल गांधी ने अपने SPG अधिकारियों को केवल बैंकॉक तक साथ आने दिया और म्यांमार में सुरक्षा लेने से मना कर दिया था। विशेष बात यह भी कि इस यात्रा को मुख्यतः एक विदेशी कंपनी ने प्रायोजित किया था।

आजतक कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया कि 21 दिनों में वह म्यांमार में क्या कर रहे थे? वर्ष 2025 के डिजिटल फॉरेंसिक खुलासों ने राहुल गांधी के म्यांमार कनेक्शन पर और भी गंभीर प्रश्न खड़े किये हैं। राहुल गांधी के “वोट चोरी” आरोपों के लिए उपयोग किए गए PDF दस्तावेज म्यांमार टाइम जोन (UTC +6:30) में तैयार किए गए थे। तीनों भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़) के PDF में म्यांमार का टाइम स्टैम्प मिला है।

मेटाडेटा के अनुसार यह PDF दस्तावेज Adobe Illustrator के द्वारा म्यांमार में बनाए गए थे, और VPN या Google Drive ट्रांसफर से यह मेटाडेटा बदल नहीं सकता। अगर ध्यान दें तो स्पष्ट होगा कि मणिपुर हिंसा की टाइमिंग भी संदिग्ध है। मई 2023 से बड़े स्तर पर जातिय हिंसा शुरू हुई और राहुल गांधी ने जून-जुलाई 2023 में मणिपुर की यात्रा करके हिंसा को और भड़काने वाले बयान दिए, केंद्र सरकार पर “ऑटोक्रेटिक मेथड्स” का आरोप लगाया और स्थिति को और उत्तेजित करने का काम किया।

भू-राजनीतिक संदर्भ में देखें तो म्यांमार भारत के साथ 1,643 किमी की सीमा साझा करता है, जो पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के लिए सुरक्षित जगह मुहैया कराता है। कुकी-चिन समुदाय की म्यांमार से नातेदारी है, जैसा कि डेनियल कॉर्नी के मामले में स्पष्ट रूप से देखा गया।

CRPF द्वारा 2025 में जारी पत्र में राहुल गांधी पर सुरक्षा प्रोटोकॉल उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। राहुल गांधी ने वर्ष 2015-2019 के बीच 257 विदेश यात्राएं कीं, लेकिन उन यात्राओं की पूर्व सूचना नहीं दीं, जिनमें इटली, वियतनाम, दुबई, ढाका, लंदन, मलेशिया की यात्रा शामिल है। जरा हीं ध्यान देंगे तो यह स्पष्ट होने लगता है, यह सभी एक ही पैटर्न की ओर इशारा करता है कि क्या राहुल गांधी अमेरिकी डीप स्टेट का टूल है ? यह सारे तथ्य एक ही तरह की रहस्यमय सक्रियता का स्पष्ट आभास तो दे रहा है किन्तु प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी है। फिर भी जो संयोग सामने हैं वह चिंताजनक हैं।

2015 की रहस्यमय म्यांमार यात्रा बिना सुरक्षा और विदेशी फंडिंग के साथ, हाल के PDF दस्तावेजों का म्यांमार कनेक्शन जो डिजिटल फॉरेंसिक से सिद्ध है कि मणिपुर हिंसा के दौरान भड़काऊ बयान और सरकार विरोधी रुख तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल का लगातार उल्लंघन और विदेशी यात्राओं की गोपनीयता कोई न कोई षडयंत्र का हिस्सा है। डेनियल कॉर्नी जैसे अमेरिकी एजेंट और राहुल गांधी जैसे स्थानीय ‘राजनीतिक नेता’ के बीच का संभावित तालमेल एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। जब एक ओर अमेरिकी सैन्य अधिकारी धर्म के नाम पर आदिवासी समुदाय को हथियार बांट रहा है और दूसरी ओर भारत का एक प्रमुख विपक्षी नेता म्यांमार से रहस्यमय संबंध रखते हुए हिंसा के समय भड़काऊ बयान दे रहा है, तो यह केवल संयोग नहीं हो सकता।

बांग्लादेश के पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने कॉर्नी के बारे में बताया कि उसके संपर्क बांग्लादेश के पूर्व अमेरिकी राजदूत, बीएनपी नेताओं और यूनुस शासन के साथ साथ म्यांमार की अराकान आर्मी से भी है, जो म्यांमार में अस्थिरता में उसकी भूमिका को भी प्रमाणित करता है।

मणिपुर में मतेई और कुकी आदिवासियों के बीच चल रही हिंसा के दौरान काँग्रेस पार्टी और राहुल गांधी-प्रियंका गांधी वाड्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार बार मणिपुर जाने को उकसाते रहे। जहां यह संभावना हो सकती थी कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री पर क़ातिलाना हमला करने की तैयारी हो। इसी दौरान कथित तौर पर पंजाब में एकबार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस स्थिति में फंसे रहे थे। इधर चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन SCO 2025 की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साज़िश थी जिसके एजेंट टेरेंस अर्वेल जैक्सन Terence Arabelle Jackson एक अमेरिकी स्पेशल फोर्स एयरवो्रन Airborne को कथित तौर पर रॉ और रूसी खुफिया एजेंसी ने मिलकर निष्क्रिय किया, जोकि बांग्लादेश के ढाका के एक होटल द वेस्टिन में मृत पाया गया।

भारत के पूर्वोत्तर के हिस्सों के साथ म्यांमार, बांग्लादेश को मिलाकर एक ईसाई प्रभुत्व वाला क्षेत्र बनाना, ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला किया जा सके यह अमेरिकी डीप स्टेट की रणनीति है। राहुल गांधी द्वारा भारत में बार बार बहुसंख्यक हिन्दू आबादी पर हमले करना, जातिय विभाजन के साथ धार्मिक तनाव को उकसाने तथा विदेशों में जाकर भारत की स्मिता, लोकतंत्र और हिन्दू स्मिता पर भारत विरोधी बयान देना लगातार जारी है। साथ ही राहुल गांधी के म्यांमार कनेक्शन, विदेशी फंडिंग की संभावना और पूर्वोत्तर की हिंसा के दौरान उनका रुख इस बात की पुष्टि करता है कि वे संभावित रूप से इस व्यापक अमेरिकी डीप स्टेट के एजेंडे का हिस्सा बन चुके हैं! भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह स्थिति अत्यंत गंभीर है। (चित्र और चलचित्र साभार गूगल)

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