
मुफ्त-रेवड़ी
नई दिल्ली, 3 अगस्त 2022 : राजनितिक पार्टियों द्वारा मुफ्त की योजना ‘रेवड़ी’ की चुनावी घोषणा की सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ी आलोचना की है. इन मुफ्त योजनाओं के चुनाव से पहले किए जाने वाले वादों को लेकर सुप्रीम कोर्ट SC ने बुधवार को अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान ‘मुफ्त रेवड़ी‘ बांटने के वादे एक गंभीर आर्थिक समस्या को उत्पन करता है।
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें मांग की गई है कि मुफ्त रेवड़ी का वादा करने वाली राजनीतिक पार्टियों का निशान सीज कर दिया जाए और उन पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI एनवी रमना ने कहा, मैं किसी एक पार्टी का नाम नहीं लेना चाहता। सभी दल मुफ्त की योजनाओं का वादा करके फायदा उठाते हैं। केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुफ्त की योजनाओं के चुनावी वादों के खिलाफ दायर याचिकाओं का समर्थन किया.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए एक संस्था की जरूरत है। नीति आयोग, वित्त कमीशन, सत्ताधारी और विपक्षा पार्टियों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अन्य संस्थाओं को भी इस मामले में सुझाव देने चाहिए कि आखिर इस ‘रेवड़ी कल्चर’ को कैसे रोका जा सकता है। बेंच ने कहा, अच्छे सुझाव के लिए जरूरी है कि जो लोग इस ‘मुफ्त कल्चर’ का समर्थन करते हैं और विरोध करने वाले लोग, दोनों ही एक सप्ताह के अन्दर अपने अपने सुझाव दें।
सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट बॉडी बनाने के लिए सात दिनों के अंदर सुझाव मांगे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के साथ याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे जल्द अपने सुझाव दें ताकि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक एक्सपर्ट बॉडी बनाई जा सके।