
मुझे तो ख़बर पढ़ते ही ये सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि नोबेल शान्ति पुरस्कार का लेवल गिर गया या पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का लेवल इतना ऊंचा हो गया कि उनको नामांकित किया गया।
मानना पड़ेगा उनके जीवन के सफ़र को प्ले बॉय की छवि से लेकर अब नोबेल शान्ति पुरस्कार तक। पाकिस्तान के इतिहास में उनका नाम तो दर्ज़ हो ही गया अब। वैसे तो मलाला युसूफजई को भी नोबेल शांति पुरस्कार मिला था लेकिन पाकिस्तान में लड़कियों के जीवन स्तर के लिए उन्होंने क्या काम किया अभी तक किसी को नहीं पता। अलबत्ता ब्रिटेन और यूरोप उन्हें पालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा हैं।
खैर जो भी हो ये ख़बर हम सबको सोचने पर मजबूर तो करती ही है कि खान साहेब ने ऐसा क्या किया की जेल में बैठे हैं और नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिए नामांकित हो गए तब मुझे अचानक नेल्सन मंडेला की याद हो आई। तब मेरे छोटे से दिमाग की बत्ती जली कि शायद पाकिस्तानी खान साहब को नेल्सन मंडेला जैसा नेता समझने लगे हैं। फिर दूसरे ही पल दिमाग ने कहा कि पाकिस्तानियों को अपनी असली पहचान का तो आज तक पता चला नहीं कि ये अरबी हैं, तुर्की हैं या फिर हिन्दुस्तानी, ये भला नेल्सन मंडेला को क्या जानते होंगे।मजे कि बात तो ये है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दूसरी बार नामांकित किया गया है ये अलग बात है हमारे यहाँ से भी श्री मोहन दास करमचन्द गाँधी जी को भी पाँच बार नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था लेकिन दिया कभी नहीं। आपको और भी हैरानी होगी ये जान कर कि खान साहेब को मानवाधिकार और लोकतंत्र के लिए उनके प्रयासों के लिए शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। हालांकि इमरान खान अगस्त 2023 से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं और उन पर 100 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं फिर भी नोबेल शान्ति पुरस्कार वालो ने उन्हें इस काबिल समझा तब सोचिये पुरस्कार कमेटी में किस सोच के लोग होंगे।
एक और मजे की बात ये है कि पिछले साल दिसंबर में ही बने एक नये स्थापित समूह ‘पाकिस्तान वर्ल्ड अलायंस’ (पीडब्ल्यूए) के सदस्य (जो नॉर्वे के राजनीतिक दल पार्टीएट सेंट्रम से भी जुड़े हैं) ने 72 वर्षीय खान के नामांकन की घोषणा की। मुझे तो लगता है कि इस नये नवेले बने समूह को चीन के Xi Jinping को इस पुरस्कार के लिए नामांकित करना चाहिए था जोकि पाकिस्तान को पालने की हिम्मत रखते हैं न की खान को जोकि साउथ एशिया में केवल एक मजबूरी वाले देश से है।
‘पार्टीएट सेंट्रम’ ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “हमें पार्टीएट सेंट्रम की ओर से यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने नामांकन के अधिकार वाले किसी व्यक्ति के साथ गठबंधन करके पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान में मानवाधिकारों और लोकतंत्र के लिए उनके काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।” आतंकवाद को पालने और उसकी खेती करने वाले देश पाकिस्तान से इमरान खान को 2019 में भी दक्षिण एशिया में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। आतंकवाद के पालक देश को शान्ति को बढ़ावा देने वाला बताना ही अपने आप में एक मजाक से कम नहीं ऊपर से तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक खान पर भ्रष्टाचार समेत कई मामलों में 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं। अब आप खुद ही सोचिये कि नोबेल शान्ति पुरस्कारों की भविष्य में क्या उपियोगिता बचेगी।
– ©️ Manu Chaudhary & Media source