
HC on Private Schools Teachers
नई दिल्ली : उच्च न्यायालय दिल्ली ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के आधार पर शिक्षकों को वेतन देने के हाई कोर्ट की एकलपीठ के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि “गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वालों के समान वेतन और लाभ के हकदार हैं”।
देश भर में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की हालत बेहद दयनीय है। ये प्राइवेट स्कूल अपने शिक्षकों से काम लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते। किंतु वेतन सरकारी शिक्षकों के वेतन स्तर से आधे भी नहीं देते। क्रमशः यही हालत देशभर में नियोजित शिक्षकों का भी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 10 में प्रावधान है कि किसी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल के वेतन और भत्ते, मेडिकल सुविधाएं, पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि और अन्य निर्धारित लाभ का पैमाना सरकारी स्कूल में उसके कर्मचारियों से कम नहीं होगा।
इसमें यह भी कहा गया है कि शिक्षा निदेशालय ने 17 अक्टूबर, 2017 को एक अधिसूचना में निर्देश दिया था कि सभी मान्यता प्राप्त स्कूल सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करेंगे। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की बेंच ने कहा कि स्कूल अपनी वैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते और कानून के अनुसार वैधानिक बकाया का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं।
कोविड महामारी के दौरान आम लोगों के साथ इन शिक्षकों की आर्थिक स्थिति भी जर्जर हो गई थी। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट का शिक्षकों संबंधी आया फैसला इन प्राईवेट स्कूलों के शिक्षकों को शायद राहत दिला सके या इन शिक्षकों के संघर्षों में मदद कर सके।