
‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘आकाश बहुत ऊँचा है …’
‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘आकाश बहुत ऊँचा है …’
■ आकाश बहुत ऊँचा है …
आकाश बहुत ऊँचा है
दूर बहुत है तारे।
उँगलियों के निशान भी
फलक तक पहुंचने
उठते चले जाते
हैं तेरे पास आसमा रे।
मन का खिंचाव
है बड़ा तेज
कर प्रयास अगर
राह नहीं होगी धूसर l
सपनों की माला बुनना
नहीं होता आसान
मिलता हार गले में
शिलाएं तोड़ते इंसान।
जुनून राह की
जज्बा आँखों में
निचोड़ मेहनत से
कोहिनूर बनता l
आकाश बहुत ऊँचा है
दूर बहुत हैं तारे l l
डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, आलोचक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर, पुणे-411005 (महाराष्ट्र) @Dr.PreranaUbale